
जवानी
( Jawani )
छीन न ले डरता हूँ फिर से होश जवानी
जगा रही है दिल में फिर से जोश जवानी
बात करो फूलों ,तितली,परबत नदिया से
अच्छी नहीं लगती है ये ख़ामोश जवानी
महबूबा ने वस्ल का वादा अगर किया हो
बन जाती है फिर तो ये ख़रगोश जवानी
लाखों काँटे हैं इस उल्फ़त की राहों में
भूल गयी है पहनना भी पापोश जवानी
दिल तोड़ा है दुनिया ने फिर से आशिक़ का
ढ़ूँढ़ रही है महबूबा का दोश जवानी
और न कुछ भी ‘अहद’ है इसकी चाहत कोई
बस माँगे है दिलबर का आग़ोश जवानी !
शायर: :– अमित ‘अहद’
गाँव+पोस्ट-मुजफ़्फ़राबाद
जिला-सहारनपुर ( उत्तर प्रदेश )
पिन कोड़-247129
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