बन गयी है मेरी आशिक़ी ओस है
( Ban Gai Meri Aashiqui Os Hai )
बन गयी है मेरी आशिक़ी ओस है
ऐसी बरसी मुझपे चांदनी ओस से
तन भिगोया ऐसा ओस ने हुस्न की
कर रही दिल मेरा बेकली ओस है
इसलिए ताज़गी से भरा है आंगन
रोज़ ही ये भिगोती कली ओस है
मैं नहाऊं उसके प्यार की बूदों में
प्यार की दिल पे मेरे गिरी ओस है
फ़ूलों के चाहता में पगली रात भर
कर गयी आंगन मेरा नमी ओस है
टूटकर इस तरह बरसी मुझपे यारों
दें रही है कोई आगही ओस है
कैसे हो प्यार की ओस आज़म तुझपे
हो रही नफ़रतों की कभी ओस है