
सरस्वती वन्दना
( Saraswati Vandana )
हे चन्द्र वदना ज्ञानदा,
माँ भारती पदनिलया।
बागीश्वरी सुरवन्दिता,
चतुरानन साम्राज्या।
हे हंसवाहिनी श्रीप्रदा,
हे महाभद्रा वरप्रदा।
सौदामिनी वीणापणी,
जटिला भामा भोगदा।
हे वाग्देवी भारती,
माँ महाश्वेता शिवानुजा।
इस सृष्टि की सम्पूर्णता,
रस रंग की माधुर्यता।
तुमसे ही पुस्तक ज्ञान है,
इस शेर को सम्मान है।
हे ज्ञानमुद्रा मालिनी,
तुम सुधामूर्ति सरस्वती।
हम जड है तुम हो चेतना,
तुम देवी पद्मा लोचना।
कर बद्ध स्तुति कर रहा
जग सर्व देवी स्तुता।
कवि : शेर सिंह हुंकार
देवरिया ( उत्तर प्रदेश )