बेटी | Kavita
बेटी
( Beti )
बेटी- है तो, माँ के अरमान है,
बेटी- है तो, पिता को अभिमान है!
बेटी- है तो, राखी का महत्त्व है,
बेटी- है तो, मायका शब्द है!
बेटी- है तो, डोली है,
बेटी- है तो, बागों के झुले हैं!
बेटी- है तो, ननद- भाभी की ठिठोली है!
बेटी- है तो, घर- संसार है,
बेटी- है तो, चौखट और द्वार है!
बेटी- है तो, शहनाई है,
बेटी- है तो, पायल की झंकार है!
बेटी- है तो, बहु के आने का इंतजार है!
बेटी- है तो, पिता ,भाई, पति, बेटा शब्द है!
बेटी- है तो, श्रृंगार है मेहंदी है,
बेटी- है तो, तीज त्योहार है!
बेटी- है तो, नखरें हैं, खट्टी अमिया है!
बेटी- है तो, दो परिवार के बीच मजबूत संबंध है!
बेटी- है तो, खनकती हँसी है,
बेटी- है तो, गूंजती किलकारी है!
बेटी- है तो, तुलसी है, आंगन है,
बेटी- है तो, चौका है, पकवान है!
बेटी- है तो, प्रेम शब्द की उपस्थिति है!
बेटी- है तो, नारी शब्द है,
बेटी- है तो, हर घर में रिश्तों का रूप है!
बेटी- है तो, माँ, बहन, बेटी,बहु, सास, स्वरूप हैं!
बेटी- बेटी बचाओ,बेटी पढ़ाओ,
क्योंकि?…
बेटी- है तो, सारा संसार है!
कवयित्री :- श्वेता कर्ण
पटना ( बिहार)