Krishna bhakti gaan
Krishna bhakti gaan

कृष्ण भक्तिगान

( Krishna bhakti gaan )

 

कृष्ण तुलसी माला लेके
कान्हा मैं तेरा इंतज़ार करती
प्रभातवेला की घंटी बजने पे
कान्हा मेरा मन उछलता रहा

 

वृन्दावन की एक एक धूली
तेरी गाथाएं सुनाती रही
यमुना नदी की छोटी लहरें भी
तेरी लीलाएं बखान करती रही

 

तेरी निकटता पाने को तरसती
निकुंजों के पास मैं खड़ी रही
कान्हा तू क्यों छिपकर बैठता
मेरी करमाला क्यों नहीं देखता ?

 

??

उपरोक्त कविता कवयित्री: डॉ शीला गौरभि जी के स्वर में सुनने के लिए ऊपर के लिंक को क्लिक करे
?

कवयित्री: डॉ शीला गौरभि

सह आचार्या
हिन्दी विभाग, यूनिवर्सिटी कॉलेज
तिरुवनंतपुरम
( केरल )

यह भी पढ़ें :- 

कृष्ण कन्हैया | Krishna kanhaiya geet

 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here