बीवी के नखरे | Biwi ke Nakhre
बीवी के नखरे हजार है फिर भी उससे प्यार है
( Biwi ke nakhre hajar phir bhi usse pyar hai )
बीवी घर की सरकार है, घर मालकिन दरकार है।
बीवी के नखरे हजार है, फिर भी उससे प्यार है।
बीवी बड़ी दिलदार है, खूबसूरती खजाना अपार है।
ए जी ओ जी लो जी सुनो जी, नारों की भरमार है।
वो कभी-कभी अंगार हैं, कभी-कभी रसधार है।
कभी-कभी रणचंडी काली, महाकाली अवतार है।
बीवी सुखों का सार है, लुटाती अपनापन प्यार है।
घर की बागडोर संभाले, जो निभाती किरदार है।
बीवी के खर्चे बेशुमार है, फैशन कई हजार है।
जेब सारी ढीली कर दे, फिर भी उमड़े प्यार है।
बीवी है तो घर बार है, रिश्तो का यह संसार है।
महकती आंगन फुलवारी, खुशियों की बहार है।
बीवी अनुपम प्यार है, गुलशन है गुलजार है।
आजा रे परदेसी कहती, दिल की राजदार है।
बीवी तकरार का खजाना, रूठना मनाना है।
हंसी मुस्कान लबों की, तुझ संग अफसाना है
कवि : रमाकांत सोनी
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )