
वृद्धाश्रम
( Bridhashram )
मनहरण घनाक्षरी
पावन सा तीर्थ स्थल,
अनुभवों का खजाना।
बुजुर्गों का आश्रय है,
वृद्धाश्रम आइए।
बुजुर्ग माता-पिता को,
सुत दिखाते नयन।
वटवृक्ष सी वो छाया,
कभी ना सताइए।
हिल मिलकर सभी,
करें सबका सम्मान।
वृद्धाश्रम में प्रेम के,
प्रसून खिलाइए।
जीवन के अनुभव,
ज्ञान का सागर भरा।
बुजुर्गों का आशीष ले,
वृद्धाश्रम जाइए।
कवि : रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )