Butati Dham par Kavita

वो बुटाटी धाम | Butati Dham par Kavita

वो बुटाटी धाम

( Wo Butati Dham )

 

जहां पर देश-विदेश से आतें है लाखों ही नर-नार,
धाम निराला है वह जिसको जानता सारा संसार।
कर रहा है कई वर्षो से मानव को सहायता प्रदान,
संत चतुरदास जी महाराज का मंदिर पावन द्वार।।

लकवा रोगी रोग-मुक्त होकर जहां हो जातें तैयार,
सात दिन रूकना पड़ता जिसमे ख़ास है रविवार।
राजस्थान के नागौर ज़िले में ऐसा बुटाटी वो धाम,
एकादशी एवं द्वादशी के दिन भीड़ होती भरमार।।

निःशुल्क होता है वहां पर भोजन आवास सुविधा,
रजिस्ट्रेशन ज़रूरी होता फिर सामग्री देती संस्था।
आटा-दाल चाय मिलता जो परिजन लेकर आता,
गैस चूल्हे पर खाना पकाने की भी वहां व्यवस्था।।

है मान्यता ०७ दिन मंदिर में आरती-परिक्रमा की,
वहां समाधी स्थल है संत चतुरदास महाराज की।
६०० वर्ष पहले जन्मे थें यही चारण कुल में योगी,
सिद्धियों से वो ठीक करते ये बिमारी लकवा की।।

खान-पान मोटापा-मधुमेह व तनाव से यह बढ़ता,
पक्षाघात इसे हिंदी में विज्ञान पैरालिसिस कहता।
विटामिन बी १२ एवं बी काॅम्प्लेक्स कमी से होता,
जो गर्दन व मस्तिष्क में ख़ून रूकावटों से बढ़ता।।

ऐसे में पालक-सहजन पत्ता-गोभी ब्रोकोली खाएं,
सरसों तेल की मालिश पीड़ित की दो बार कराएं।
लहसुन की कलियों को पीसकर दूध शहद में देवें,
अनार अंगूर पपीता हल्दी सेब व सन्तरा खिलाएं।

 

रचनाकार : गणपत लाल उदय
अजमेर ( राजस्थान )

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