
बेटियों को पढ़नें दो
( Betiyon ko padhne do )
आज बेटियों को सब पढ़नें दो,
और आगें इनको भी बढ़नें दो।
खिलने दो और महकनें भी दो,
अब पढ़ाई से वंचित न होने दो।।
इनको बनकर तारें चमकने दो,
परचम इनको अब लहराने दो।
हंसने दो और मुस्कराने भी दो,
अब पढ़ाई से वंचित न होने दो।।
चाहें बेटे हो अथवा बेटियाॅं दो,
अत्याचार नहीं अब होने न दो।
इन्हें ऊॅंची उड़ान अब भरने दो
अब पढ़ाई से वंचित न होने दो।।
अब पिंजरे मे इन्हें न रहनें दो,
आज़ाद पक्षी बनकर उड़नें दो।
झाॅंसी जैसा इतिहास रचानें दो,
अब पढ़ाई से वंचित न होनें दो।।
ज्वालामुखी सा इन्हें बनने दो,
अब अबला से सबला होने दो।
और आत्म-सम्मान से जीनें दो,
अब पढ़ाई से वंचित न होने दो।।
रचनाकार : गणपत लाल उदय
अजमेर ( राजस्थान )
यह भी पढ़ें :-