देखते है | Dekhte Hain

देखते है | Dekhte Hain

( ऐसे तो कितने ही सारे अतुल सुभाष है जिन्हें कोई जानते नहीं है, उनमें से कुछ दुनिया में आज भी मौजूद है कुछ इस दुनिया से जा चुके हैं!! ) देखते है देखते है अब कौन हो हल्ला करेगा।देखते है अब कौन कैंडल जलाएगा। निर्दोष पुरुष बेमौत मरा है यह देखो,कौन जो खिलाफ आवाज़…

बदलने से

बदलने से | Badalne se

बदलने से हमको परहेज़ है साहब कहाँ बदलने से।कुछ न बदलेगा मगर बस यहाँ बदलने से। बात कोई नहींं करता वहाँ बदलने कीहम बदल सकते हैं सचमुच जहाँ बदलने से। न दिल, न जज़्बा, न लहजा, न नज़रिया, न नज़रकुछ बदलता नहीं है चेहरा बदलने से। सर झुकाने के तरीके के सिवा क्या बदलादिल बदलता…

मां शारदे

शारदे मां का वंदन

शारदे मां का वंदन ज्ञान की देवी मातु शारदे, मां मैं तुझको प्रणाम करूं,निशदिन तुझे प्रणाम करूं,तेरे चरणों में मैं शीश धरुं।जग का भाग्य बनाने वाली मां,मेरा भी जग नाम करो,इतनी बुद्धि दे देना मां शारदे,आठों पहर तेर नाम धरूं।। मां मेरी अभिलाष यही,जग में ज्ञान की ज्योति जगाऊं मैं,तेरे आशीर्वाद से मां बस जग…

जागो! मेरे देश के युवा

जागो! मेरे देश के युवा

जागो! मेरे देश के युवा आओ! हम रचे नवगीत।रचे ऐसा नवगीत, शत्रु भी बन जाए मीत॥ साधु बन घूमते रावणकरने सीता का वरण।आए दिन अब हो रहा,द्रोपदी का चीर-हरण॥करे पापियों का अब नाश, हो अच्छाई की जीत।रचे ऐसा नवगीत, शत्रु भी बन जाए मीत॥ छलावी चालें चल रहेकपटी-काले मन।नित झूठे लूट रहेंसच्चाई का धन॥बन पार्थ…

हौसला मेरा अभी है बुलंद

हौसला मेरा अभी है बुलंद

हौसला मेरा अभी है बुलंद मंजिल को पाना मेरी है पसंदहौसला मेरा अभी है बुलंदमेरा हौसला ही है मेरी मंजिलदुश्मन भी मेरा मुझे क्या मात देमेरे साथ है ईश्वर सदा मेरा साथ देरब साथ है परेशान मेरा क़ातिलभुजाओं में मेरी अब भी जोश हैअभी खोया नहीं मुझे होश हैरखुगां सदा अपना होश राह जटिलसत्य की…

ओ निष्ठुर मनुष्य!

ओ निष्ठुर मनुष्य!

ओ निष्ठुर मनुष्य! ओ निष्ठुर मनुष्य! क्यों तू,हरे-भरे वृक्षों को काटकर,उनको टुकड़ों में बाँटता है।सुनो! ये वृक्ष भी तो रोते हैं,इनको भी तो पीड़ा होती है। ओ निष्ठुर मनुष्य ! क्यों तू,हो गया इतना पत्थर-दिल?इन वृक्षों से ही जहाँ में तू,मानव तू ! जीवित रहता है।सोचा भी है तूने ओ मनुष्य,इन समस्त वृक्षों के बारे…

बचपन का गाँव

बचपन का गाँव | Bachpan ka Gaon

बचपन का गाँव ठण्डी-ठण्डी छांव मेंउस बचपन के गाँव मेंमैं-जाना चाहती हूँ।तोडऩा चाहती हूँबंदिश चारों पहर की।नफरत भरी येजिन्दगी शहर की॥अपनेपन की छायामैं पाना चाहती हूँ।उस बचपन के गाँव मेंमैं-जाना चाहती हँ हूँ॥घुट-सी गयी हूँइस अकेलेपन मेंखुशियों के पल ढूँढ रहीनिर्दयी से सूनेपन मेंइस उजड़े गुलशन कोमैं महकाना चाहती हूँ।उस बचपन के गाँव मेंमैं-जाना चाहती…

शीत का प्रथम स्पर्श

शीत का प्रथम स्पर्श

शीत का प्रथम स्पर्श जब शीतल पवन ने कानों को छुआ,आँगन में अलसाई धूप ने अंगड़ाई ली।पत्तों पर ओस की मोती-सी बूंदें,धरती ने मानो सर्द चादर ओढ़ ली। सूरज भी अब मद्धम मुस्कुराने लगा,दोपहर का आलस लंबे साए में छुपा।हाथों में गर्म चाय की प्याली सजी,संवेदनाओं का अंश हर कण में बसा। पगडंडियों पर कोहरे…

तुम रहो खुश

तुम रहो खुश | Tum Raho Khush

तुम रहो खुश चलो हमने हार मान लिया,अब तो तुम खुश हो।चलो हमने शीश झुका दिया,अब तो तुम खुश हो।मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता इन सब बातों से कभी,मेरी वजह से दुखी न रहो, अब तो तुम खुश हो।। हमने सुना था कि जो झुकना जानता वो टूटता नहीं,हमने सुना था जो दूसरों को खुश…

सत्य के साथ रहो

सत्य के साथ रहो

सत्य के साथ रहो सत्य के साथ रहो!!!जो हो भी बात कहो!!!वक़्त एक जैसानही होताहै सभी काना कभीकिसी को आघात करो!!!!दिन को दिन औररात को रात कहो!!!हलकी बारिश की बूंदो कोना गहरी बरसात कहो….धैर्य रखना आगे बढ़नासबके साथ रहो… अनिल कुमार सिंह “अनल “राही रायबरेलवी मुन्ना ठाकुर यह भी पढ़ें :-