तुम जो ज़ाहिर अगर ज़रा होते

तुम जो ज़ाहिर अगर ज़रा होते

तुम जो ज़ाहिर अगर ज़रा होते तुम जो ज़ाहिर अगर ज़रा होतेआने वालों का रास्ता होते ग़र दुबारा ये राब्ता होताकुछ न होते तो हमनवा होते ख़ुद को कितना निहारते हैं वोकाश हम यार आइना होते आप हम हैं तभी न सब कुछ हैहम न होते तो क्या ख़ुदा होते रोते रोते यही कहा उसनेख़ैर…

मिली जब से मुहब्बत

मिली जब से मुहब्बत

मिली जब से मुहब्बत मिली जब से मुहब्बत हम सफ़र की बात करते हैंहुईं पूरी मुरादें , रहगुज़र की बात करते हैं बड़े नादान है अब पूछते दिल में हमारे क्याये दिल हम हार बैठे अब जिगर की बात करते हैं सफ़ीना आज मेरा जब फँसा है इस भँवर में तोकरें हम याद रब को…

महाकुंभ

महाकुंभ

ग़ज़ल ( महाकुंभ विशेष) आस्था की है लगी डुबकी सदा देखाभक्ति के नव रंग में सबको रँगा देखा कुंभ मेला को इलाहाबाद के पथ परसंत नागा साधुओं से नित भरा देखा भीड़ का उमड़ा हुजूम जयघोष हैं करतेधूल से घुटने पावों तक को सना देखा सूर्य तक उठता नदी जल अंजली में योंआचमन में हाथ…

हमेशा इश्क में

हमेशा इश्क में

हमेशा इश्क में हमेशा इश्क में ऊँची उठी दीवार होती हैनज़र मंज़िल पे रखना भी बड़ी दुश्वार होती है सभी उम्मीद रखते हैं कटेगी ज़ीस्त ख़ुशियों सेनहीं राहत मयस्सर इश्क़ में हर बार होती है । बढ़े जाते हैं तूफानों में भी दरियादिली से वोदिलों को खेने वाली प्रीत ही पतवार होती है नहीं रख…

मैं सोचता रहा

मैं सोचता रहा

मैं सोचता रहा मैं सोचता रहा उसे जिस पल ग़ज़ल हुईफिर सर से पांव तक ये मुसलसल ग़ज़ल हुई कुछ तो नशा भी चाहिए था काटने को जीस्तऔर ऐक दिन मेरे लिए बोतल ग़ज़ल हुई भड़की है आग बन के जिगर में कहीं,कहींदिलबर के गोरे पांव की पायल ग़ज़ल हुई हफ़्तों कलम उठा न रक़म…

पानी पानी हर तरफ़

पानी पानी हर तरफ़

पानी पानी हर तरफ़ दिख रहा है आज हमको पानी पानी हर तरफ़कर रहा है ख़ूब बादल मेहरबानी हर तरफ़ बेतकल्लुफ़ होके दोनों मिल न पाये इसलिएबज़्म में बैठे थे मेरे खानदानी हर तरफ़ तोड़कर वो बंदिशें वादा निभाने आ गयाकर रहे थे लोग जब के पासबानी हर तरफ तेरे जैसा दूसरा पाया नहीं हमने…

प्यार में मुझको हद से गुज़र जाने दो

प्यार में मुझको हद से गुज़र जाने दो

प्यार में मुझको हद से गुज़र जाने दो प्यार में मुझको हद से गुज़र जाने दो ।आज मन की मुझे अपने कर जाने दो मुझको खुशियाँ दो या अश्क भरपूर दो,ये कटोरा किसी से तो भर जाने दो॥ मुझसे वादा ख़िलाफ़ी न हो पाएगी ,वो मुकरता अगर है  मुकर जाने दो॥ मैं तरफ़दारी ज़ालिम की…

जुगनू दुबक रहे होंगे

जुगनू दुबक रहे होंगे

जुगनू दुबक रहे होंगे ये सर्द रात है जुगनू दुबक रहे होंगेहज़ारों दिल के दरीचे खटक रहे होंगे मुझे यक़ीन है महफ़िल में उनके आते हीहरिक निगाह में वो ही चमक रहे होंगे मैं सोचता हूँ हटा दूँ हया के पर्दों कोवो मारे शर्म के शायद झिझक रहे होंगे नज़र के तीर से जो ज़ख़्म…

मुझे अपने काबिल बना ज़िन्दगी

मुझे अपने काबिल बना ज़िन्दगी

मुझे अपने काबिल बना ज़िन्दगी मुझे अपने काबिल बना ज़िन्दगीनहीं ऐसे ठोकर लगा ज़िन्दगी हमें भी तो जीना सिखा ज़िन्दगीनई राह कोई दिखा ज़िन्दगी किसी रोज़ उनसे मिला ज़िन्दगीपता उनका मुझको दिला ज़िन्दगी बने बुत हैं बैठे मेरे ईश तोउन्हें हाल मेरा सुना ज़िन्दगी मिली ही नही है जिसे छाँव कलउसे धूप से मत डरा…

भर भर दुआ देने लगे

भर भर दुआ देने लगे

भर भर दुआ देने लगे हम बुज़ुर्गों पर तवज्जो जब ज़रा देने लगेवो मुहब्बत से हमें भर-भर दुआ देने लगे घर के आँगन में खड़ी दीवार जब से गिर गयीनाती पोतों के तबस्सुम फिर मज़ा देने लगे मिट गये शिकवे गिले जब भाइयों के दर्मियाँएक दूजे के मरज़ में वो दवा देने लगे आ रहींं…