मेरे महबूब की मोहब्बत | Mere Mehboob ki Mohabbat
मेरे महबूब की मोहब्बत
( Mere Mehboob ki Mohabbat )
जब महबूबा का ठिकाना बदल जाएगा
मेरी महबूबा ये जहान बदल जाएगा।
रह जाएंगी तेरी यादें इस जहान में
वक्त रहते ये परवानां बदल जाएगा।
मेरी महबूबा जहां बैठोगे बड़ी शान से
उस जगह तेरा आशियाना बदल जाएगा।
तुम मुझसे मोहब्बत कर दिल्लगी कर
हमारा पुराना रिश्ता बदल जाएगा।
ये सैरो-ओ-तफरी का लुत्फ उठा समां
रुत वहीं रहेगी पर दिवाना बदल जायेगा।
लिख रहा हूं शायरी तेरी खुबसूरती पर
शायरी वहीं रहेगी पर गाने वाला बदल जाएगा।
खान मनजीत अब रह नहीं सकता तेरे बिना,
कोई जिंदगी में आया तू जीते जी मर जाएगा।
मनजीत सिंह
सहायक प्राध्यापक उर्दू
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय ( कुरुक्षेत्र )
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