रहते हैं ज़मीरों को

रहते हैं ज़मीरों को | Ghazal Rahte Hain

रहते हैं ज़मीरों को ( Rahte Hain Zameeron ko )  रहते हैं ज़मीरों को यहाँ बेचने वाले दुश्मन ने यही सोच के कुछ जाल हैं डाले बेटे ही जहाँ माँ का गला नोच रहे हों उस घर की मुसीबत को तो भगवान ही टाले दुश्मन है इसी बात पे हैरान अभी तक हम से कभी…

Meri Ghazal

हर लम्हा है हसीन | Ghazal Har Lamha

मेरी ग़ज़ल ( Meri Ghazal ) मिलती सभी से मेरी ग़ज़ल दिलकशी के साथ शीरीं ज़ुबां है उसकी बड़ी चासनी के साथ हम जीते ज़िंदगी को हैं दरियादिली के साथ हर लम्हा है हसीन फ़क़त मैकशी के साथ बातें करेंगे वस्ल की और इंतिज़ार की इक़रार-ए-इश्क़ की सदा संजीदगी के साथ बीती सुख़नवरी में ही…

Zaidi

“जैदि” की ग़ज़ले | Zaidi ki Ghazlein

कबीर ======== कबीरा तेरी लेखनी,चले ऐसे जैसे तलवार, पाखंडी भी कहता मेरे पाखंड को भी मार। ========================== जाके हिय सदियों बसे नफरत भरे विकार, चतुर,चलाक, अभिमानी माने कभी न हार। ========================== जात पात के जाल में, डाले संग-ओ-ख़ार, धर्म कर्म की डाल बेड़ियाँ, करे हरदम वार। ========================== कबीरा तेरी ऐसी जननी खूब लुटायो प्यार, जो…

उसकी आवाज़  | Ghazal Uski Awaaz

उसकी आवाज़ | Ghazal Uski Awaaz

उसकी आवाज़ ( Ghazal Uski Awaaz ) दिल को राह़त सी दिखाई दी है। उसकी आवाज़ सुनाई दी है। कौन कहता है कमाई दी है। उसने बस नाज़ उठाई दी है। उसके बातिन में यही है शायद। उसने जब दी है बुराई दी है। मेरे बारे में तुम्हें उसने फिर। जो ख़बर दी है हवाई…

अब हम

अब हम | Ghazal Ab Hum

अब हम ( Ab Hum ) पहले अपनी इ़नान देखेंगे। फिर जहाँ का गुमान देखेंगे। सीख लें ढंग जंग के फिर हम। सबके तीर-ओ-कमान देखेंगे। पर हमारे तराशने वालो। हम तुम्हारी उड़ान देखेंगे। यह करिशमा दिखाएंगे अब हम। सर झुका कर जहान देखेंगे। हम तो कुछ कर नहीं सके लेकिन। अब तुम्हारा ज़मान देखेंगे। रंग…

इस जमाने में

इस जमाने में | Ghazal Is Zamane Mein

इस जमाने में ( Is Zamane Mein )  जुबां को थोड़ी सी असरदार कीजिए, करो जब भी बात, वजनदार कीजिए। =================== कलंक पसरा है इतना संभल के इनसे, जहान में बेदाग,तुम किरदार कीजिए। =================== कभी किसी से मिलो,लगे मिला कोई, दुखे दिल,रिश्ता ऐसा दमदार कीजिए। =================== शराफ़त न ढूंढो इस जमाने में यार मेरे, सभंल…

घर को संभाले | Ghazal Ghar ko Sambhale

घर को संभाले | Ghazal Ghar ko Sambhale

घर को संभाले ( Ghar ko Sambhale ) इस दिल को बता तू ही करूँ किसके हवाले अब तेरे सिवा कौन मिरे घर को संभाले इक बात ही कहते हैं यहाँ आके पड़ोसी जब तुम थे बरसते थे यहाँ जैसे उजाले मेरे ही तबस्सुम से तिरा रूप खिला है तू अपनी निगाहों के कभी देख…

ahad o paiman

अ़हदो पैमान की स़दाक़त को

अ़हदो पैमान की स़दाक़त को अ़हदो पैमान की स़दाक़त को। आज़मा ले मिरी मुह़ब्बत को। यूं न पर्दा हटा ह़सीं रुख़ से। क़ैद रहने दे इस क़यामत को। उनकी नज़रों से पी ले जो वाइ़ज़। भूल जाए वो राहे जन्नत को। आ गई नींद अब मुझे दिलबर। अब न आना मिरी अ़यादत को। पैरवी जिसने…

इस ह़िमाक़त में क्या है

इस ह़िमाक़त में क्या है | Ghazal Is Himaqat Mein Kya Hai

इस ह़िमाक़त में क्या है ( Is Himaqat Mein Kya Hai ) बताओ तुम्हीं इस ह़िमाक़त में क्या है। किसी की क़बाह़त,इहानत में क्या है। क़रीब उनके बैठो तो आए समझ में। बुज़ुर्गाने दीं की हिदायत में क्या है। झुकाकर तो देखो कभी अपने सर को। समझ जाओगे ख़ुद इ़बादत में क्या है। वो ज़ालिम…

फैसला दिल का

फैसला दिल का | Ghazal Faisla Dil Ka

फैसला दिल का ( Faisla Dil Ka ) जानता हूँ मैं फैसला दिल का इक हँसीं से है सामना दिल का क्यों समझते अलग मुझे उससे एक वो ही है रहनुमा दिल का किसलिए अब बुरा कहें उसको उसने जोड़ा है आइना दिल का जब भी उस पर नज़र पड़ी मेरी मुझको लगता वो देवता…