महॅंगी हुई तरकारी

महॅंगी हुई तरकारी

महॅंगी हुई तरकारी आज बेहद-महॅंगी हो गई है देशों में ये तरकारी,क्या बनाएं, क्या खाएं सोच रही घरों की नारी‌।छू रहा दाम आसमान इन तरकारियों का सारी,बढ़ रही है मुसीबतें आम आदमी और हमारी।। कभी सोचूं ये शिकायत करुं मैं किससे तुम्हारी,आलू-प्याज़ ख़रीदना भी आज हो रहा दुश्वारी।ग़रीब अमीर जिसे रोज़ खाते आज़ दे रहें…

Ghar Ghar Deep jale Diwali

आओ हम सब दीप जलाएं

आओ हम सब दीप जलाएं आओ हम सब दीप जलाएं पहला घट में दूजा घर में ।अंधकार किसी तरह की रह ना पाए सभी नारी-नर में।। लक्ष्मी गणेश वंदना से पहले सुकर्मों को आत्मसात करें,उनका आचरण प्रदर्शित हो कुछ तो हम सबके कर में । राम से पहले लक्ष्मण,भरत,शत्रुघ्न, हनुमान बनें हम ,तब भवसागर पार…

दीपक वोहरा की कविताएं

दीपक वोहरा की कविताएं | Deepak Vohra Poetry

कविता में वो कविता मेंकविता ढूंढ़ रहे हैंमैं मनुष्यता वो कविता मेंभाषा देख रहे हैंमैं तमीज़ वो कविता मेंशिल्प शैली छान रहे हैंमैं पक्षधरता छंद, रस, बिंब ,सौन्दर्य, लयन जाने क्या क्या कसौटी परवो परख रहे हैं कविता और मैं न बाज़ीगर हूं कविता कान ही तथाकथित बड़ा साहित्यकारबस मनुष्यता का पक्षधर हाथ वो हाथजो…

तुम साधना हो

तुम साधना हो

तुम साधना हो तुम ईश्वर की अनुपम संचेतना होरचित ह्दय प्रेम की गूढ़ संवेदना होक्या कहा जाए अद्भुत सौन्दर्य वालीतुम सृष्टि की साकार हुई साधना हो । घुँघराले केश, मृगनयनी, तेज मस्तकअंग सब सुअंग लगें यौवन दे दस्तक।ठुड्डी और कनपटी बीच चमके कपोलकवि सहज अनुभूति की तुम पालना हो । तुझसे जुड़कर कान की बाली…

मैं माटी का दीपक हूँ

मैं माटी का दीपक हूँ

मैं माटी का दीपक हूँ जन्म हो या हो मरणयुद्धभूमि में हो कोई आक्रमणसरण के अग्निकुण्ड का हो समर्पणया पवित्र गंगा मे हो अस्थियों का विसर्जनमैं जलाया जाता हूँमाटी का दीपक हूँ ….अंत में इसी रजकण मे मिल जाता हूँमैं माटी का दीपक हूँमाना की नहीं हैसूर्य किरणों सी आभा मुझमेचंद्र सी नहीं है प्रभाअसंख्य…

दिवाली आई

ये दिवाली है निराली

ये दिवाली है निराली जगमग-जगमग करती आई प्यारी ये दिवाली,कोना कोना साफ़ करों बजाओ सब ये ताली।कार्तिक माह की अमावस है इसदिन निराली,जेब हमारी ख़ाली है पर पकवान भरी थाली।। साफ़ करों घर का ऑंगन एवं बाहर की नाली,दोस्तों के संग ख़ूब खेलो राम-श्याम मिताली।बयां नही किया जाता अलोकित यह दिवाली,मालपुआ शक्करपारा संग दाल बनें…

पुलिस स्मृति दिवस

पुलिस स्मृति दिवस

पुलिस स्मृति दिवस मुॅंह से आज भी बोलती है उन वीरों की तस्वीरें,देश के लिए अपनी जान गंवाए वो ऐसे थें हीरे।कोई शब्द नही है उन वीरों के लिए पास हमारे,फिर भी कविता-लिखता हूॅं मैं उदय धीरे-धीरे।। २१ अक्टूब‌र दिन था वो १९५९ की काली-रात,तीसरी बटा की कंपनी हाॅट स्प्रिंग मे थी तैनात।सीमा सुरक्षा जिम्मेदारी…

भगवान महावीर का 2551 वां निर्वाण कल्याणक दिवस दीपावली पर्व

भगवान महावीर का 2551 वां निर्वाण कल्याणक दिवस दीपावली पर्व

आज से ठीक 2550 वर्ष पूर्व भगवान महावीर का आज के दिन निर्वाण हुआ था । आज के इस निर्वाण दिवस पर मेरा भावों से प्रभु को शत – शत वन्दन ! इस अवसर पर मेरे भाव – दीपों के पर्व पर चेतन , निज घर में कर तू आत्मरमणप्रभु महावीर की तरह स्वयं को…

Desh Prem par Kavita

ये देश | Yeh Desh

ये देश ( Yeh Desh ) ये देश है वीर जवानों का,कुर्बानी औ बलिदानों का।आ तुझे सुनाऊं ओ यारा,कुछ गाथा उन अभिमानों का। अपनी नींद गंवा के वे सब,देश की रक्षा करते हैं,वतन की खातिर मर मिटते हैं,नहीं मौत से डरते हैं। जो हुए शहीद थे सरहद पे,वे किसी की आँख के तारे थे।जो हुए…

मन बसी झुंझलाहट

मन बसी झुंझलाहट

मन बसी झुंझलाहट मेरे दुःख दर्द का तुज पर हो ऐसा असर ,कि आईना तुम देखो और चहरा मेरा दिखे l सबसे ज्यादा दर्द तो तब हुवा ,जब तुम्हे देखे बिना लौट आया l इतना दर्द देकर भी मन को भाती हो ,अगर हमदर्द होती तो क्या आलम हो l क्या कहूँ ,एक ही हमदर्द…