महेन्द्र सिंह प्रखर की कविताएं | Mahendra Singh Prakhar Poetry

महेन्द्र सिंह प्रखर की कविताएं | Mahendra Singh Prakhar Poetry

पति पत्नी : रोला छन्द पति पत्नी में आज , कहाँ हैं सुंदर नाता । पति भी जग में देख , रह गया बनकर दाता ।। पूर्ण सभी शृंगार , मात्र वो पति ही करता । फिर भी हर शृंगार , दिखावा उसको लगता ।। पति की खातिर मात्र , एक दिन सजनी सजती ।…

डॉक्टर बिटिया रानी थी | Doctor Bitiya Rani Thi

डॉक्टर बिटिया रानी थी | Doctor Bitiya Rani Thi

( क्षोम है, दुख है, दुर्भाग्य है…यह कैसी विडंबना! ) डॉक्टर बिटिया रानी थी दिन माह क्षण भूमंडल पर धू धू करती इस अवनी पर आक्रोश, क्लेश संघर्षों का एक पल चैन नहीं मिलता। होना क्या है समय गर्भ में कोई कुछ नहीं कह सकता ऐसा कौन दिन न बिता हो जो, खबर अशुभ नहीं…

Geet Utho Desh ke Karnadhar

नया भारत | Kavita Naya Bharat

नया भारत ( Naya Bharat ) पतझड़ का पदार्पण हुआ है हर ओर एक दुःख छाया है उजड़ गया जो उपवन उसे फिर बारिश से हमें खिलाना है अमावस की स्याह रात है एक-दूसरे के हम साथ है अंधियारा मिटाने के लिये मिलकर दीप जलाना है मझधार में फंसी है नाव हमारी फिर भी हिम्मत…

स्वयं को बदले और

स्वयं को बदले और

स्वयं को बदले और ज़माने में आये हो तो जीने की कला को सीखो। अगर दुश्मनों से खतरा है तो अपनो पे भी नजर रखो।। दु:ख के दस्तावेज़ हो या सुख की वसीयत। ध्यान से देखोगें तो नीचे मिलेंगे स्वयं के ही हस्ताक्षर।। बिना प्रयास के मात्र हम नीचे गिर सकते है। ऊपर उठ नहीं…

Dr.Amarjit Kaunke

मूल पंजाबी कविता- अमरजीत कौंके | अनुवादक- डॉ. जसप्रीत कौर फ़लक

डॉ.अमरजीत कौंके पंजाबी साहित्य के आकाश पर ध्रुव तारे की तरह चमकता हुआ नाम है जिसकी रोशनी में पंजाबी साहित्य मालामाल हुआ है। उनकी रचनाएँ प्रेम के सरोकारों को नए दृष्टिकोण से परिभाषित करती हैं। उनकी कविता की विशेषता है कि यह पाठक से बड़ी ख़ामोशी से हम – कलाम होते हुए उस की रूह…

रक्षा बंधन ये कहे | Raksha Bandhan ye Kahe

रक्षा बंधन ये कहे | Raksha Bandhan ye Kahe

रक्षा बंधन ये कहे ( Raksha Bandhan ye Kahe ) रक्षा बंधन प्रेम का, मनभावन त्यौहार। जिससे भाई बहन में, नित बढ़े है प्यार। बहनें मांगे ये वचन, कभी न जाना भूल। भाई-बहना प्रेम के, महके हरदम फूल।। रेशम की डोरी सजी, बहना की मनुहार। रक्षा बंधन प्यार का, सुंदर है त्योहार।। रक्षा बंधन प्यार…

आवाज मन की

आवाज मन की | Kavita Awaz Man Ki

आवाज मन की ( Awaz Man Ki ) ताना-बाना दिमाग का मन से, छुआ-छूत जाति-धर्म मन से । मिटाते भूख नजर पट्टी बांध-, बाद नहाते तृप्त हो तन से। क्या गजब खेल मन का भईया , दुश्मन भी कुछ पल का सईया। उद्घाटित उद्वेलित उन्नत उन्नाव -, उद्विग्न हो नियम की मरोड़ता कलईया। फिर दलित…

Poem on Azadi in Hindi

क्या हम आजाद हैं | Kya Hum Azad Hain

क्या हम आजाद हैं कहने को आज़ाद तो कहलाते हैं, पर आज़ाद रह नहीं पाते हैं। कोई गुलाम जातिवाद का, कोई राजनीति के गुलाम बन जाते हैं। साम्प्रदायिकता और दलों के फेर में, बंधकर हम रह जाते हैं। अन्याय और अत्याचार सह सहकर, यूं ही घुटकर रह जाते हैं। आज भी देश में दहेज प्रथा,…

मेरे प्यारे भैया | Kavita Mere Pyare Bhaiya

मेरे प्यारे भैया | Kavita Mere Pyare Bhaiya

मेरे प्यारे भैया ( Mere Pyare Bhaiya ) मेरे प्यारे भैया राखी के वचन निभाना तुम मेरे प्यारे भैया इस बार राखी में नई रित चलाओ तुम। अपनी प्यारी बहना को आत्मरक्षा के गुर सिखाओ तुम। अच्छी नौकरी वाला लड़का ढूंढने के बजाय उसे खुद आत्मनिर्भर बनाओ तुम। जो मुझे चाहे उसे मेरा जीवन साथी…

कभी बदलते नहीं | Kabhi Badalte Nahi

कभी बदलते नहीं | Kabhi Badalte Nahi

कभी बदलते नहीं ( Kabhi Badalte Nahi ) बहुत लिखी बहुत सुनी हमने कथा और कहानियाँ। जिसने सच में बदल दी हमारी छोटी सी दुनिया। बहुत कुछ करना और कराना अभी बाकी है। और समाज को अपने बिखरने से बचाना है।। दुख बहुत होता है जब अपने अपनों को लूटते है। और अपने होने का…