उसका मुकद्दर यू रूठ गया

उसका मुकद्दर यू रूठ गया

उसका मुकद्दर यू रूठ गया 1. उसका मुकद्दर यू रूठ गया , बकरा कसाई हाथ लग गया। 2. वो दिल में आ बत्तियां बुझा नभाक कर गया, कोई जुगनू पकड़ दामन फिर उजाला कर गया। 3. तुम अच्छे हो अच्छे रहो, हम बुरे हैं बुरे ही सही, देख लेते जो अच्छी नजर से बुरे हम…

चीर हरण (ककहरा)

चीर हरण | Cheer Haran Par Kavita

चीर हरण ( ककहरा ) ( Cheer haran )   कुरुवंश सुवंश में आगि लगी कुरुपति द्युत खेल खेलावत भारी।     खेलने बैठे हैं पांच पती दुर्योधन चाल चलइ ललकारी।     गुरुता गुरु द्रोण की छीन भई संग बैठे पितामह अतिबलकारी।     घर जारत है फुफकारत है शकुनी जस मातुल कुटिल जुवारी…

बच्चों में बढ़ रही है नशे की लत

बच्चों में बढ़ रही है नशे की लत | Nashe Ki Lat Par Kavita

बच्चों में बढ़ रही है नशे की लत! ( Bachon mein badh rahi hai nashe ki lat )    सिर्फ बालीवुड में ही नहीं- देशभर में बढ़ी है नशे की लत, उछाल आया है बड़ी जबरदस्त। सिर्फ रिया,करिश्मा, दीपिका को ही नहीं- बच्चों , किशोरों को भी लगी है इसकी लत, भैया सोचो कितना है…

पुत्री और शराबी पिता

पुत्री और शराबी पिता

पुत्री और शराबी पिता   पापा मेरी किताब , मेरे अरमान है,  मेरी खुशी है, मेरा भविष्य है,          सब बेच मेरी खुशियों का          शराब पी गए,   पापा मां का मंगलसूत्र सुहाग है मांग का सिंदूर है,      सब बेच उनके अरमानों का      …

प्यार की लक्ष्मण रेखा

प्यार की लक्ष्मण रेखा | Poem pyar ki lakshman rekha

प्यार की लक्ष्मण रेखा ( Pyar ki lakshman rekha)    तपती ज्वालाओं के दिन हों या ऋतु राज महीना। मेरे प्यार की लक्ष्मण रेखा पार कभी मत करना। नभ समक्ष हो या भूतल हो, तुम मेरा विश्वास अटल हो, रहे पल्लवित प्रेमवृक्ष यह चाहे पड़े विष पीना।।मेरे.. जब जब फूल लगेंगें खिलने, अंगारे आयेंगे मिलने,…

बुढ़ापा

बुढ़ापा | Poem on budhapa in Hindi

बुढ़ापा ( Budhapa )    शून्य है शेष जीवन हमारा, एक ब्यक्ती का संसार हूँ मैं।   अर्थ वाले जहाँ में निरर्थक, बन गया अब तो बस भार हूँ मैं।   हो गये अपनों के अपने अपने, उनके अरमां के घर बस गये हैं।   लोग पढ़कर जिसे फेंक देते, बासी अब तो वो अख़बार…

बेटी

बेटी | Beti par kavita

बेटी ( Beti )    सृष्टि की संचरित संवेदनित आधार है बेटी। गृहस्थी है समष्टी है वृहद् संसार है बेटी।। स्वर्ग सा ये घर लगे आने से तेरे। मधुर किलकारी सुनी अति भाग्य मेरे। मूर्ति ममतामयी है सहज है संस्कार है बेटी।। गृहस्थी ० सबको बेटी नियति देती है कहां। बेटी न होगी तो बेटा…

देवों की साज़िश!

देवों की साज़िश | Kavita devon ki saazish

देवों की साज़िश! ( Devon ki saazish )    दिन रात हो रही है बारिश, लगता है देवों ने रची है कोई साजिश! गरीबों के मकान ढ़ह रहे हैं, बारिश की पानी में बह रहे हैं। कमाएं क्या? खाएं क्या? सब यही कह रहे हैं। गांव से लेकर शहर तक हो चुके हैं जलमग्न, ठप…

ये प्यारे प्यारे बच्चे

ये प्यारे प्यारे बच्चे | pyare bache

ये प्यारे प्यारे बच्चे ये तोतली बोल के बच्चे, मन के अनमोल बच्चे, नवतन के प्यारे बच्चे , सुन्दर सलोने बच्चे, कारेनयन के तारे बच्चे, नियति के सच्चे बच्चे, स्वराष्ट्र के रतन बच्चे, पितृ- मातृ के अच्छे बच्चे, इनका खिला चेहरा देख के, शर्मा जाते हैं फूल देखो  ये प्यारे- प्यारे बच्चे जाते हैं स्कूल…

इच्छा

इच्छा | Ichcha par kavita

इच्छा ( Ichcha )  छोटी बड़ी पवित्र दूषित अधूरी पूरी मृत जीवित दबी तीव्र अल्पकालिक दीर्घकालिक व नाना प्रकार की होती है, सबको होती है। किसी की कम या ज्यादा होती है, किसी की पूरी तो किसी की अधूरी रह जाती है। यह कहां से आती है? जीवन से आती है, जीवनोपरांत समाप्त हो जाती…