सबकी इच्छा पूर्ति मुश्किल है
सबकी इच्छा पूर्ति मुश्किल है

सबकी इच्छा पूर्ति मुश्किल है

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बढ़ती चाहतों ने
जिंदगी को
दुश्वारियों से भर दिया है
बहुत कुछ किया है
बहुत कुछ दिया है
पर सुनने को बस यही मिला है!
क्या किया है? क्या किया है?
सुन आत्मा तक रो दिया है,
बेचैन हो-
आसमां से अर्ज किया है।
कुछ और नेमतों से नवाज़ दे ,
ताकि पूरी कर सकूं उनकी चाहतें।
क्या पता हो जाएं संतुष्ट?
वरना रहेंगे जीवन भर वो रूष्ट।
शिकायत का मौका नहीं देना चाहता,
किए जा, बस किए जा-
यही है रास्ता!
या खुदा! तुझे तेरी रहमतों का वास्ता।
मुश्किल हुई है राह,
दिखा कोई रौशन सा रास्ता;
पूरी कर सकूं सबकी, जो जो है चाहता!
ज्यादा मैं कुछ नहीं मांगता,
तू ही दाता, तू ही है कर्ता
बस नाम मेरा है होता!

 

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नवाब मंजूर

लेखक-मो.मंजूर आलम उर्फ नवाब मंजूर

सलेमपुर, छपरा, बिहार ।

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