लघुकथा: “चार बजे की माँ”

लघुकथा: “चार बजे की माँ”

सुबह के चार बजे थे।बाहर अभी भी अंधेरा पसरा था, मगर प्रियंका की नींद खुल चुकी थी।अलार्म बजने से पहले ही उसकी आँखें खुल गई थीं — जैसे उसकी जिम्मेदारियाँ अलार्म से भी पहले जाग जाती हों। बिस्तर छोड़ते ही ठंडी ज़मीन पर पैर रखते हुए एक ही ख्याल —“आज कुछ भी छूटे नहीं…” रसोई…

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‘अश्लीलता’

शाम के समय पार्क में टहलते हुए, मेरी नजर अपने स्कूली मित्र उमेश पर पड़ी। उससे मेरी मुलाकात लगभग 4 वर्ष बाद हुई थी। उसके साथ उसकी दो खूबसूरत बेटियां थी, जिनकी उम्र लगभग 6 वर्ष और 4 वर्ष होगी। वह बच्चियों को पार्क में घुमाने लाया था। मेरी उससे दुआ सलाम हुई। हम दोनों…

महंगी शादी

लघुकथा – महंगी शादी

मास्टर शिवप्रसाद की ज़िंदगी भर की कमाई आज बेटी की शादी में दांव पर लगी थी।घर के आँगन में सजी रंग-बिरंगी लाइटें, मंडप में बैठे पंडित, और हाथ में चेकबुक लिए मास्टर साहब —सब कुछ कुछ खोखला-सा लग रहा था। लड़के वालों की माँगें दिन-ब-दिन बढ़ती गईं।“गहने हल्के हैं… फ्रिज छोटा है… कार पुरानी है…”और…

मदद बनी मुसीबत

मदद बनी मुसीबत

इंटर कॉलेज के प्रधानाध्यापक राकेश सर ने प्रार्थना सभा में ही कक्षा 11 के छात्र सोहन को खड़ा करके प्रश्न किया- “बेटा सोहन, कल मैंनें तुम्हें अतरासी चौराहे पर बाइक से जाते हुए देखा था। तुम्हारे पीछे एक व्यक्ति बैठा हुआ था। ऐसा लग रहा था कि उसने शराब पी रखी थी। वह क़ई बार…

उम्मीद

“उम्मीद”

सर्दियों की एक धुंधभरी सुबह थी। कोहरे में लिपटा स्टेशन ठंड से सिहर रहा था। प्लेटफ़ॉर्म नंबर तीन पर एक वृद्धा बैठी थी—बिलकुल चुप, जैसे किसी ने जीवन की आवाज़ छीन ली हो। सिर पर जर्जर ऊनी चादर, गोद में पुराना टिफिन डिब्बा, और आँखों में एक जमी हुई प्रतीक्षा। पास ही खड़े एक युवक…

शादी डॉट कॉम

मनोज की शादी

राम अवतार जी एक कॉलेज में चपरासी के पद पर कार्यरत थे। वे प्रातः 4 बजे उठकर दैनिक क्रियाकलापों से निवृत होकर, नहा धोकर, साइकिल से 2 किलोमीटर दूर नियमित महादेव जी के मंदिर पर जल चढ़ाने जाते थे। भगवान की पूजा-अर्चना करके माथे पर एक बड़ा सा पीला-लाल रंग का टीका लगाते थे और…

सकारात्मक सोच

सकारात्मक सोच

सर्द अंधेरी रात थी। रात के दस बज रहे थे। सुनसान सड़क पर…घर पहुंचने की जल्दी में नितिन तेजी से बाइक चलाकर सरपट चला जा रहा था। रास्ते में एक पुल के ऊपर चढ़ते समय अचानक उसकी बाइक सड़क पड़े हुए एक बड़े से पत्थर से टकरा गयी। नितिन अपना संतुलन खो बैठा और बाइक…

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अरमान (सच्ची घटना पर आधारित)

बड़े अरमानों के साथ संध्या शादी के बाद ससुराल आई थी। उसके हाथों की मेहंदी का रंग उतरा भी ना था कि सासू मां ने रसोई घर की जिम्मेदारी उसके कंधों पर डालते हुए कहा- “अब यह घर तेरा हुआ। थक गई मैं, इस घर को संभालते हुए। अब इसको संभालने की जिम्मेदारी तेरी है।”…

शादी का चौथा फेरा

शादी का चौथा फेरा

सुहागरात की अगली सुबह प्रातः 6:00 बजे जैसे ही नई नवेली दुल्हन शीतल की आंख खुली, तो उसने अपने पति वीर सिंह को अपने करीब ना पाया। कुछ देर तक वह अपने पति का इंतजार करती रही। उसे लगा कि शायद मेरे पति दैनिक क्रियाकलापों से निवृत होकर बाहर घूमने गए हैं, कुछ देर में…

सच्चाई (सत्य घटना पर आधारित)

सच्चाई (सत्य घटना पर आधारित)

जैसे ही यश पब्लिक स्कूल की छुट्टी हुई, वैसे ही कक्षा 10 में पढ़ने वाली प्रिया और रजनी घर जाने के लिए (अपनी बस में ना बैठकर) दूसरी बस में बैठ गई। गलत बस में बैठा देखकर उस बस से जाने वाली प्रिंसिपल मैडम सविता जी ने उन बच्चों से इस बस में बैठने का…