श्वान-व्यथा (दर्द-ए-कुत्ता)

श्वान-व्यथा (दर्द-ए-कुत्ता)

श्वान-व्यथा (दर्द-ए-कुत्ता) हम इंद्रप्रस्थ के रखवाले,यह धरा हमारे पुरखों की ।हमने देखे हैं कई बार,शासन-सत्ता सुर-असुरों की ।। हमने खिलजी को देखा है,देखा है बिन तुगलक़ को भी ।देखा है औरंगज़ेब औरगज़नी, ग़ोरी, ऐबक को भी ।। तैमूर लंग जैसा घातक,नादिर शाह भी देखे हैं ।अब्दाली से अंग्रेजों तक,की सत्ता नयन निरेखे हैं ।। अब…

जाने क्यों इतराते हैं लोग…?

जाने क्यों इतराते हैं लोग…?

जाने क्यों इतराते हैं लोग…? खुद को समझदार समझकर जाने क्यों इतराते हैं लोग,प्रश्नों के जाल में आकर खुद ब खुद फँस जाते हैं लोग। सच की परछाई से डरकर नज़रें क्यों चुराते हैं लोग,झूठ के सहारे दुनिया में मेले क्यों सजाते हैं लोग। रिश्तों की सौदागरी में दिल का वज़न भुला बैठे,फ़ायदे की ख़ातिर…

सरफ़राज़ हुसैन फ़राज़

सरफ़राज़ हुसैन फ़राज़ की ग़ज़लें -2 | Poetry of Sarfraz Husain Faraz

तमाशा यह भी जहां को दिखा दिया मैंने तमाशा यह भी जहां को दिखा दिया मैंने।ख़िज़ां को फ़स्ले-बहारां बना दिया मैंने। किताबे-दिल से भी उसको हटा दिया मैंने।के जिसको अपनी नज़र से गिरा दिया मैंने। कहा था जो भी वो कर के दिखा दिया मैंने।वफ़ा से तेरी जफ़ा को हरा दिया मैंने। परिन्दा प्यार का…

विनय साग़र जायसवाल की ग़ज़लें पार्ट 2

विनय साग़र जायसवाल की ग़ज़लें पार्ट 2

मुलाक़ात कम नहीं होती अजीब बात है यह रात कम नहीं होतीमेरी निगाह से ज़ुल्मात कम नहीं होती मुझे भी उनसे मुहब्बत है कह नहीं सकतामुहब्बतों पे मगर बात कम नहीं होती वो एक दिन तो मुहब्बत के तीर छोड़ेंगेहमारी उनसे मुलाक़ात कम नहीं होती तेरे हुज़ूर वफाओं का तज़करा क्या होतेरे करम की करामात…

ख़बर रखता है

ख़बर रखता है

ख़बर रखता है ज़ख़्म देकर भी वो पल-पल की ख़बर रखता हैनब्ज़ कब बन्द हो इस पर भी नज़र रखता है उसकी उल्फ़त पे यक़ीं कैसे भला मैं कर लूँहैसियत पर जो मेरी आँख ज़बर रखता है जाने कितने ही किराये के मकानों में रहेअपना घर ही मेरा ख़ुश जान जिगर रखता है जब अचानक…

ग़ज़ल सम्राट विनय साग़र जी

ग़ज़ल सम्राट विनय साग़र जी

विनय साग़र जी वही उस्ताद हैं मेरे ग़ज़ल लेखक विनय साग़रजिन्हें है जानती दुनिया ग़ज़ल सम्राट साग़र जी हमारी भी ग़ज़ल की तो करें इस्लाह साग़र जीउसी पथ पर सदा चलता करें जो चाह साग़र जी बड़ा अनभिज्ञ हूँ मैं है नहीं कुछ ज्ञान भी मुझकोमगर हर पथ की बतलाते मुझे हैं थाह साग़र जी…

डॉ. कामिनी व्यास रावल की ग़ज़लें | Dr. Kamini Vyas Poetry

डॉ. कामिनी व्यास रावल की ग़ज़लें | Dr. Kamini Vyas Poetry

किशन बाँसुरी तूने जब भी बजाई किशन बाँसुरी तूने जब भी बजाईतिरी राधिका भी चली दौड़ी आई नहीं और कुछ देखने की तमन्नातुम्हारी जो मूरत है मन में समाई हुई राधिका सी मैं भी बाबरी अबकथा भागवत माँ ने जब से सुनाई रहे भक्त तेरी शरण में सदा जोभंवर से उसी की है नैया बचाई…

सुमन सिंह याशी की ग़ज़लें | Suman Singh Yashi Poetry

सुमन सिंह याशी की ग़ज़लें | Suman Singh Yashi Poetry

असर आज भी है अगरचे तूफ़ानात घर आज भी हैदुआओं में उसके असर आज भी है II शब-ए-चाँदनी ग़ैर हाज़िर तो क्या ग़म Iसितारों से जगमग सहर आज भी है II गजब की कशिश है कि बिन गुफ़्तगू भी Iदिलों की समझ किस कदर आज भी है II समझते समझते समझ आ गया है Iसमझना…

सीमा पाण्डेय ‘नयन’ की ग़ज़लें

सीमा पाण्डेय ‘नयन’ की ग़ज़लें | Seema Pandey Nayan Poetry

नई आदत लगा ली है वहम की आजकल उसने नई आदत लगा ली है,कोई हो वाकया शक की नज़र मुझ पर ही डाली है। यहां सौ सौ बखेड़े जान को मसरूफ़ियत इतनीनहीं फुरसत तुम्हें तो ये बताओ कौन खाली है। बढ़ी है बात तो कुछ तो तुम्हारी भी ख़ता होगी,कभी बजती नहीं इक हाथ से…

वैभव असद अकबराबादी की ग़ज़लें | Vaibhav Asad Poetry

वैभव असद अकबराबादी की ग़ज़लें | Vaibhav Asad Poetry

फ़िर वही सब किया तो सुन बैठे फ़िर वही सब किया तो सुन बैठेइक परी-रू के ख़्वाब बुन बैठे उसकी पायल की छनछनाहट यारसाज़ पर किस तरह ये धुन बैठे साफ़ सुधरी सी ज़िंदगी जीनाबड़ी कमबख़्त राह चुन बैठे इश्क़ वालों को इश्क़ से मतलबउनको क्या करना कितने गुन बैठे मुस्कुराए तो खिल उठे क़िस्मतरूठ…