यह जो उर्दू ज़बान है साग़र

यह जो उर्दू ज़बान है साग़र

यह जो उर्दू ज़बान है साग़र मीर ग़ालिब की जान है साग़रयह जो उर्दू ज़बान है साग़र उर्दू सुनते ही ऐसा लगता हैगोया बंशी की तान है साग़र बेसबब आज हिंदी उर्दू मेंहो रही खींचतान है साग़र उर्दू को माँ कहो या तुम मौसीएक ही खानदान है साग़र मेरी ग़ज़लों में उर्दू के दम सेघुल…

उनको मुहब्बतों में ख़ुदा कर चुके हैं हम

उनको मुहब्बतों में ख़ुदा कर चुके हैं हम

उनको मुहब्बतों में ख़ुदा कर चुके हैं हम उनको मुहब्बतों में ख़ुदा कर चुके हैं हमअब अपनी मंज़िलों का पता कर चुके हैं हम इक बेवफ़ा को अपना ख़ुदा कर चुके हैं हमसब अपनी मंज़िलों को खफ़ा कर चुके हैं हम अपना ये दिल वतन पे फ़ना कर दिया है अबऔर जाँ लुटा के फ़र्ज़…

दिसंबर गुज़रा

दिसंबर गुज़रा

दिसंबर गुज़रा तेरे वादे पे कहें क्या ऐ-सितमगर गुज़राराह तकते ही फ़कत अपना दिसम्बर गुज़रा जनवरी से ये नवम्बर का महीना है अबइतनी मुद्दत में इधर से न वो होकर गुज़रा काश वैसा ही गुज़र जाये महीना यह भीजितना रंगीन तेरे साथ सितम्बर गुज़रा शायरी करते हैं कहने को हज़ारों शायरमीर ग़ालिब सा न कोई…

जख़्म के हर निशान से निकला

जख़्म के हर निशान से निकला

जख़्म के हर निशान से निकला जख़्म के हर निशान से निकलादर्द था वो अज़ान से निकला लोग जो भी छिपा रहे मुझसेबेजुबां की जुबान से निकला इश्क़ के हो गये करम मुझ परतीर जब वो कमान से निकला आँख भर ही गई सुनो मेरीआज जब वो दुकान से निकला आज सब कुछ लिवास से…

चश्मे-तर बोलना

चश्मे-तर बोलना

चश्मे-तर बोलना कैसे कोशिश करे चश्मे-तर बोलनाहुक्म उसका उसे राहबर बोलना पूरी कर दूँगा तेरी हरिक आरज़ूप्यार से तू मगर उम्र भर बोलना इस ख़मोशी से कैसे कटेगा सफ़रकुछ तो तू भी मेरे हमसफ़र बोलना मैंने मजबूर होकर के लब सी लियेरूबरू उसके है बेअसर बोलना मेरी ख़ामोशी चुभने लगी क्या उसेकह रही है वो…

मैं भी था

मैं भी था | Main Bhi Tha

मैं भी था तुम्हारे हुस्न-ओ-अदा पर निसार मैं भी थातुम्हारी तीर-ए-नज़र का शिकार मैं भी था मेरे गुनाह ख़ताएं भी फिर गिना मुझकोतेरी नज़र में अगर दाग़दार मैं भी था बहुत ही ख़ौफ़ ज़माने का था मगर सचमुचतुम्हें भी अपना कहूँ बेकरार मैं भी था यक़ी न होगा तुझे पर यही हक़ीक़त हैहसीं निगाहों का…

यहाँ चंचल नयन वाली कहाँ है

यहाँ चंचल नयन वाली कहाँ है

यहाँ चंचल नयन वाली कहाँ है दिखाओ वह घटा काली कहाँ हैयहाँ चंचल नयन वाली कहाँ है जुबाँ उसकी सुनों काली कहाँ हैदरख्तों की झुकी डाली कहाँ है गुजारा किस तरह हो आदमी काजमीं पर अब जगह खाली कहाँ है जिसे हम चाहते दिल जान से अबहमारी वो हँसी साली कहाँ है मिलन अब हो…

घर आबाद रखना

घर आबाद रखना | Ghar Aabaad Rakhna

घर आबाद रखना मुसलसल दिल को अपने शाद रखनामेरी यादों से घर आबाद रखना गुज़ारी है ग़मों में यूँ भी हँसकरमुझे है प्यार की मरजाद रखना मिलेंगे हम ख़ुशी से फिर यहीं परलबों पर बस यही फ़रियाद रखना वफ़ा के फूल ख़ुद खिलते रहेंगेसदा देते इन्हें तुम खाद रखना बहारें दे रहीं हैं दस्तकें फिरसनम…

तुझे ताजदार करना है

तुझे ताजदार करना है

तुझे ताजदार करना है वफ़ा की राह को यूँ ख़ुशग़वार करना हैज़माने भर में तुझे ताजदार करना है भरम भी प्यार का दिल में शुमार करना हैसफ़ेद झूठ पे यूँ ऐतबार करना है बदल बदल के वो यूँ पैरहन निकलते हैंकिसी तरह से हमारा शिकार करना है ये बार बार न करिये भी बात जाने…

हर दिन कलाम करते हैं

हवा रुक जायेगी

हवा रुक जायेगी गर ख़ुदा रहमत करे तो हर बला रुक जायेगीजल उठेंगे बुझते दीपक यह हवा रुक जायेगी इसलिए हाकिम के आगे रख दिये सारे सबूतजुर्म साबित हो न पाये तो सज़ा रुक जायेगी साथ तेरे हैं अगर माँ की दुआएं ख़ौफ़ क्यातेज़ तूफाँ में भी कश्ती नाख़ुदा रुक जायेगी बेवफ़ाई से तेरी परदे…