श्वान-व्यथा (दर्द-ए-कुत्ता)
श्वान-व्यथा (दर्द-ए-कुत्ता) हम इंद्रप्रस्थ के रखवाले,यह धरा हमारे पुरखों की ।हमने देखे हैं कई बार,शासन-सत्ता सुर-असुरों की ।। हमने खिलजी को देखा है,देखा है बिन तुगलक़ को भी ।देखा है औरंगज़ेब औरगज़नी, ग़ोरी, ऐबक को भी ।। तैमूर लंग जैसा घातक,नादिर शाह भी देखे हैं ।अब्दाली से अंग्रेजों तक,की सत्ता नयन निरेखे हैं ।। अब…









