निभाए साथ जो | Ghazal nibhaye saath jo
निभाए साथ जो ( Nibhaye saath jo ) निभाए साथ जो वो हम सफ़र ऐसा कहाँ मिलता वफ़ाओ का मगर ऐसा यारों रस्ता कहाँ मिलता निभाए जो हमेशा दोस्ती मुझसे वफ़ा बनकर मुझे कोई यहाँ ऐसा मगर चेहरा कहाँ मिलता तन्हाई दूर हों जाये यहाँ तो जीस्त की मेरी कहीं भी…