मुझको कोई फ़िक्र नहीं है | Poem mujhko koi fikar nahi hai
मुझको कोई फ़िक्र नहीं है ( Mujhko koi fikar nahi hai ) मुझको कोई फ़िक्र नहीं है , रंजो गम से दूर हूँ नींदें भी हैं कनीज मेरी , मैं मस्ती में चूर हूँ देखके मुझको , दुनिया वाले , हौले से मुस्काते हैं राज नहीं मैं जान सका , बदनाम हूँ…