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नफ़रतों का खूब मौसम आज तो
( Nafraton ka khoob mausam aaj to )
नफ़रतों का ख़ूब मौसम आज तो
प्यार की सूखी वो शबनम आज तो
माफ़ तेरे रब करेगा हर गुनाह
देख पढ़ले ख़ूब वो अम आज तो
दूर जब से जीस्त से खुशियां हुई
जोर दिल पर कर रहा ग़म आज तो
भूल जाने को किसी की याद को
पी गया हूँ ख़ूब वो रम आज तो
याद आया दोस्त कोई इस क़दर
हो गयी है चश्म ए पुरनम आज तो
नफ़रतों की ख़ूब गर्मी तप रही
के मुहब्बत की फ़िजां थम आज तो
सोचकर बारे में अपने सुब्ह से
यार रोया ख़ूब आज़म आज तो