मां दुर्गा के पंचम स्वरूप स्कंदमाता

मां दुर्गा के पंचम स्वरूप स्कंदमाता

स्कंदमाता : हाइकु जगदंबिकादुर्गमा स्कंदमाताशरणागता दुर्गा भवानीस्कंदमाता अंबिकानम: चंद्रिका नौ नवरात्रिपूजन फलाहारअंबे के द्वार नौ दुर्गा रूपपंचम् स्कंदमातासुखप्रदाता षष्टमुखम्कार्तिकेय ललनशिरस: नमन रजनी गुप्ता ‘पूनम चंद्रिका’ लखनऊ, उत्तर प्रदेश यह भी पढ़ें:-

निर्मल जैन ‘नीर’ के हाइकु | Nirmal Jain ke Haiku

निर्मल जैन ‘नीर’ के हाइकु | Nirmal Jain ke Haiku

शिवशंकर हे!उमापति~भोले शिवशंकरकैलाशपति••हे!त्रिपुरारी~कण-कण में व्याप्तत्रिशूलधारी••हे ! महादेव~तीनों लोक में पूज्यदेवो के देव••हे!आशुतोष~तेरी भक्ति में रहूँमैं मदहोश••हे!नटराज~तेरी कृपा से होवेंपूरण काज•• हिंदी पत्रकारिता दिवस यश फैलाया~हिंदी पत्रकारितादिवस आया•चौथा स्तम्भ~पत्रकारिता करेआज स्तब्ध•बदला दौर~ये पत्रकारिता कीकैसी है भोर•सच बोलती~देखो पत्रकारिताराज खोलती•नही रूकती~पत्रकारिता कभीनही झुकती• गुरू नानक देव अपार हर्ष~जन्में गुरू नानकप्रकाश पर्व•प्रथम गुरू~किया खालसा पंथउन्होनें शुरू•गुरू नानक~मूर्ति पूजा…

बेटियां : हाइकु

बेटियां : हाइकु

बेटियां बेटी का धन,लक्ष्मी, विद्या, पार्वती,जैसा है मन।।१।। धान सी फलें,परिवार की जड़,फूल सी खिले ।।२।। बेटी चहके,घर आँगन ज्योंपुष्प महके ।।३।। ईश सजीव,बेटियां होती है,जग की नींव ।।४।। बिछा के मन,बेटियों बना देती,मकाँ को घर।।5।। बेटी की छाँव,जहां पड़ते पाँव,स्वर्ग सी ठाँव ।।6।। कैसा भी दौर,बिटियाँ के हाथों में,जग की डोर ।।7।। डी के…

गणेश विसर्जन

गणेश विसर्जन | Ganesh Visarjan

गणेश विसर्जन ( Ganesh Visarjan ) माथ चन्दन~गणेश विसर्जनकोटि वंदन●शुभभावना~अनन्त चतुर्दशीपूर्ण कामना●धर्म में वृद्धि~घर-घर में शांतिसुख समृद्धि●मंगल मूर्ति~हे! गणपति बप्पादो हमें स्फूर्ति●मन में हर्ष~हे! बप्पा जल्दी आनाअगले वर्ष● निर्मल जैन ‘नीर’ऋषभदेव/राजस्थान यह भी पढ़ें :-

भाषा है हिंदी | Bhasha hai Hindi

भाषा है हिंदी | Bhasha hai Hindi

भाषा है हिंदी ( Bhasha hai hindi ) करो वंदन~मातृ भाषा हिंदी काअभिनंदन•हिंदी दिवस~विश्व पटल परफैले सुयश•माथे की बिंदी~देवनागरी लिपिभाषा है हिंदी•प्रभु भजन~लोरी शेरो शायरीहिंदी गज़ल•हिंदी पे नाज़~हर दिल अज़ीजसिर का ताज़•जगाती प्रीत~सप्त सुरों में गूँजेगीत-संगीत•हिंदी है शान~हिंदुस्तानियों का हैये अभिमान•शुभकामना~हिंदी हो राष्ट्र भाषायही भावना• निर्मल जैन ‘नीर’ऋषभदेव/राजस्थान यह भी पढ़ें :-

गुरू | Guru

गुरू | Guru

गुरू ( Guru ) गुरू महान~ उनके चरणों में सारा जहान ● गुरू ही सार~ बिन गुरू लगता जग असार ● गुरू वंदन~ गुरू त्याग की मूर्ति गुरू चंदन ● गुरू ही आस्था~ प्रभु से मिलने का गुरू ही रास्ता ● गुरू प्रमाण~ जीवन सार तत्व गुरू ही प्राण ● निर्मल जैन ‘नीर’ ऋषभदेव/राजस्थान यह…

बाढ़ विभीषिका

बाढ़ विभीषिका | Baadh Vibhishika

बाढ़ विभीषिका ( Baadh Vibhishika ) नदी उफान~ बाढ़ की विभीषिका डूबे मकान ● मूसलाधार~ झुग्गी-झोपड़ियों का कहाँ आधार ● हुई है भूल~ ताश के पत्तों जैसा ढहता पुल ● जीवन त्रस्त~ अथाह जल राशि हौसले पस्त ● हे!कद्रदान~ नदी से नदी जोड़ो है समाधान ● ————— निर्मल जैन ‘नीर’ ऋषभदेव/राजस्थान यह भी पढ़ें :-…

Hal Chhath

हल छठ पर हाइकू

हल छठ पर हाइकू माह पावन भाद्रपद षष्ठी को छठ पूजन, पुत्र पुत्री के लंबी उम्र के हित व्रत रखते, छट की पूजा करते हिलमिल प्रकृति पूजा, लगता भोग चावल पसही का है उपयोग, महुआ लाते दूध दही भैंस का खाया करते। कर अर्पण सतंजा अनाज को भर कुल्हड़, महुआ पत्ते और उसके दोने शुभ…

Nivatiya ke Haiku

निवातिया के हाइकु | Nivatiya ke Haiku

निवातिया के हाइकु ( Nivatiya ke haiku ) विद्या : माहिया (१) मैं कलि हूँ खिलने को घूंघट तब खोलूं जब आओ मिलने को !! (२) इतना क्यों तरसाया, ये तो बतलाओ, क्यों हमको तड़पाया !! (३) हर-पल मुझको छेड़े, चलती जब पुरवा, उजड़े मन के खेड़े !! (४) किस विध मैं समझाऊं, इस मन…

वसंत ऋतु

बसंत हाइकु | Basant par Haiku

बसंत हाइकु ( Basant Haiku )    १. कोयल गायें, सरसों लहलायें बसंत आये !! २. सरसों छाये, ओढ़े पीली चादर, खेत मुस्काये !! 3. बागों में शोर लदने लगे जब, आमों पे बौर !! ४. नई डालियाँ, बसंत ने खिलाई नई कलियाँ !! ५. बसंत कवी, मीठी धूप सृजन कराये रवि !! डी के…