निर्मल जैन ‘नीर’ के हाइकु | Nirmal Jain ke Haiku

विजयादशमी

छाया है हर्ष~
विजयदशमी का
आया है पर्व

आये न लाज~
राम-वेश में छुपे
रावण आज

भीतर झाँक~
बैठा है दशानन
कर दे ख़ाक

रख विश्वास~
आसुरी शक्तियों का
हो सर्वनाश

प्रभु श्री राम~
मर्यादा पुरुषोत्तम
आठों ही याम

माँ सिद्धिदात्री

पावन पर्व~
नवरात्रि में छाया
हर्ष ही हर्ष

सिंहवाहिनी~
माता है सिद्धिदात्री
कमलासिनी

नव निधियाँ~
माँ से पाई शिव ने
अष्ट सिद्धियाँ

करो प्रार्थना~
माँ से होती है पूर्ण
मनोकामना

कर लो सेवा~
माँ की कृपा दृष्टि से
मिलता मेवा

भक्ति की धुन~
माँ का है दरबार
थोड़ा सा झूम

माँ महागौरी

अद्भुत शक्ति~
माँ मंगल दायिनी
कर लो भक्ति

है उपकार~
माँ करती दैत्यों का
सदा संहार

छूटते पाप~
माँ गौरी की कृपा से
मिटे संताप

पाते ऐश्वर्य~
श्रद्धा से जो पूजते
मिले सौंदर्य

रख विश्वास~
माँ करूणा सागर
दुःख न पास

माँ कुष्मांडा

मूरत प्यारी
मैया तेरी ये लीला
बड़ी है न्यारी

प्रभा प्रचण्ड~
निर्मल मन्द हँसी
रचा ब्रह्माण्ड

गाथा हैं गाते~
ब्रह्मा विष्णु महेश
जिनको ध्याते

सुख का धाम~
अष्ट भुजाओं वाली
कुष्मांडा नाम

त्यौहार आया~
आज चौथा दिवस
उल्लास छाया

माँ चन्द्रघण्टा

मन मोहता~
माँ चन्द्रघण्टा शीश
चंद्र सोहता

महिमा भारी~
है दस भुजा धारी
सिंह सवारी

था हाहाकार~
महिसासुर मारा
हो जयकार

कर उद्धार~
तलवार त्रिशूल
दुष्ट संहार

कर लो ध्यान~
माता चन्द्रघण्टा का
होगा कल्याण

माँ ब्रह्मचारणी

अद्भुत रूप~
माता ब्रह्मचारिणी
शक्ति स्वरूप

तपश्चारिणी~
हे!जगत कल्याणी
ब्रह्मचारिणी

प्रभु शरण~
निर्जल निराहार
शिव अर्पण

शक्तिधारिणी~
त्याग तप वैराग्य
सिद्धिधारिणी

तू सुख कर्ता~
सकल जगत की
तू दुःख हर्ता

महात्मा गाँधी

प्रणेता
महात्मा गाँधी
अंग्रेजों के विरुद्ध
भारत छोड़ों
आंदोलन

किया
एक अगाज
स्वतंत्रता पाने को
मिला सबका
साथ

अंग्रेज
हुए मजबूर
लौटाना पड़ा उनको
स्वतंत्रता का
नूर

साकार
हुआ सपना
भारत देश हुआ
तबसे मित्रों
अपना

करें
हम वंदन
जो शहीद हुए
उनको कोटि
नमन

वीर भगत सिंह

कोटि वन्दन~
वीर भगतसिंह
माथ चन्दन

थे मतवाले~
अमर राष्ट्र भक्ति
थे वो दीवाने

वीर महान~
आजादी के ख़ातिर
हुए कुर्बान

राष्ट्र न भूले~
हँसते-हँसते वो
फाँसी पे झूले

अमर गाथा~
वीर चरण रज
झुकता माथा

बेटियाँ

बेटियाँ घर की शान
वो खुद की खुशियाँ
करती सदैव कुर्बान

बेटी को पढ़ने दो
अपनी मंजिल की
ये सीढ़ी चढ़ने दो

बेटियाँ है अरमान
अनमोल उपहार
ईश का है वरदान

निर्मल जैन ‘नीर’
ऋषभदेव/राजस्थान

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