चलें आओ कन्हैया

( Chale aao Kanhaiya ) 

 

चलें-आओ कन्हैया अब नदियाॅं के पार,
सुन लो सावरियाॅं आज मेरी यह पुकार।
देकर आवाज़ ढूॅंढ रही राधे सारे जहान,
इस राधा पर करो कान्हा आप उपकार।।

कहाॅं पर छुपे हो माता यशोदा के लाल,
खोजते-खोजते क्या हो गया मेरा हाल।
आ जाओ तुमको आज राधा में ‌बना दूॅं,
कहा था तुमने अब करदो मुझे निहाल।।

कितनी परीक्षा अब और लोगे बनवारी,
कहते है कण-कण में आप बसे मुरारी।
फिर इतना हमें क्यों तड़पाते हो कान्हा,
मैं सुधबुध खो रही नैन थक गई हमारी।।

अब बालगोपाल तड़पाओ नही ज्यादा,
तुमने किया जो वादा रहा आज आधा।
अधूरी रही मैं अधूरा रहा तुम्हारा वादा,
मुझको बनाओगे कृष्ण और तुम राधा।।

नही दिख रही तुम्हारी गाये और ग्वाले,
आकर अब मुझको अपना हमें बनाले।
ऐसी करो कृपा की ये झोली भर जाऍं,
मिटा दो अंधियारे और कर दो उजाले।।

 

रचनाकार : गणपत लाल उदय
अजमेर ( राजस्थान )

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