चमन में अब निखार है शायद | Ghazal
चमन में अब निखार है शायद
( Chaman me ab nikhar hai shayad )
चमन में अब निखार है शायद।
आने वाली बहार है शायद ।।
वो मर गया मगर हैं आंखें खुली,
किसी का इंतजार है शायद।।
गर्ज पूरी हुई मुंह मोड़ लिया,
बहुत मतलबी यार है शायद।।
पांव में छाले और लबों पे हंसी,
इश्क इसको सवार है शायद।।
तीरछी नजरों से मुड़के देखा है,
वाखुदा बहुत प्यार है शायद।।
रात भर जागता है रोता है,
तीरे दिल आर पार है शायद।।
खुदा का नाम दिल में रखता है,
ये कोई ख़ाकसार है शायद।।
शेष दिया जलाके कौन गया,
रौशनी शानदार है शायद।।