छांव की तलाश | Chhand chhav ki talaash
छांव की तलाश
( Chhav ki talaash )
चिलचिलाती धूप में,
पंछी पानी को तरसे।
गर्मी से व्याकुल फिरे,
छांव की तलाश में।
सूख गये नदी नाले,
छाया सब ढूंढ रहे।
गर्म तवे सी धरती,
तप रही आग में।
झुलस रहे हैं सारे,
जलती हुई धूप में।
ठंडी छांव मिले कहीं,
चल देते आस में।
वृक्ष दे सबको छाया,
पेड़ लगाए हम भी।
गर्मी से राहत मिले,
चैन मिले सांस में।
कवि : रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )