गजानंद | Chhand Gajanand
गजानंद
( Gajanand )
मनहरण घनाक्षरी
गजानंद गौरी सुत, गणपति गणराज।
विघ्नहर्ता पीर हरे, गणेश मनाइए।
आय पधारो देव हे, एकदंत विनायक।
रिद्धि-सिद्धि संग प्रभु, लंबोदर आइए।
प्रथम पूज्य देव हे, संकटमोचन नाथ।
यश कीर्ति वैभव दे, निशदिन ध्याइये।
सुख समृद्धि प्रदाता, श्री गणेश महाराज।
मूषक वाहन सोहे, मोदक चढ़ाइए।
कवि : रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )