सुकून की जिंदगी | Chhand sukoon ki zindagi
सुकून की जिंदगी
( Sukoon ki zindagi )
मनहरण घनाक्षरी
दो घड़ी पल सुहाने,
सुकून से जीना जरा।
गमों का भी दौरा आये,
हंस हंस पीजिए।
सुख से जियो जिंदगी,
चैन आए जीवन में।
राहत भरी सांस ले,
खूब मजा लीजिए।
भागदौड़ सब छोड़,
होठों से मुस्कुराइये।
सुकून की सांस मिले,
जियो जीने दीजिए।
प्रीत भरे मोती बांटो,
आपस में मिल यार।
नेह दुलार सबको,
प्यार थोड़ा कीजिए।
कवि : रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )
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