आज की कीमत
( Aaj ki kimat )
एक व्यक्ति था। बड़ा ही गरीब। दीन हीन।सब तरफ से दुखों से घिरा हुआ। एक रात वह सोया हुआ था कि सपने में उसने देखा कि वह भगवान के दरबार मे पहुंच गया है। दरबार सजा हुआ है। भगवान एक बहुत ही भव्य सिंहासन में आलीशान कपड़े पहने बैठे हुए हैं और मनुष्यों से उनके दुख,कष्ट सुनकर उनका निवारण कर रहे हैं। वह बड़ा ही खुश हुआ कि आज तो उसे सब दुखों से छुटकारा मिल जाएगा।
वहां और भी बहुत से लोग हैं, उसी की तरह दुखी और विपत्ति के मारे हुए। वह भी अन्य व्यक्तियों की तरह लाइन में जाकर खड़ा हो गया। नम्बर आने पर उसने भगवान को प्रणाम किया और रोते हुए अपनी व्यथा उन्हें कह सुनाई। उसने भगवान से कहा कि वह जो भी काम करता है सबमें उसे हानि होती है।
वह भूखे बच्चों का पेट नहीं भर पाता क्योंकि वह सदैव भविष्य के बारे में सोचकर चिंतित होता रहता है।उसे चिंताएं खाये रहती हैं कि उसकी फसल कैसी होगी,परिवार का पेट कैसे पालेगा, साहूकार का कर्ज कैसे चुकाएगा। घर उसका कच्चा है, टूटा फूटा। वह इसी चिंता में घुलता रहता है कि अगली बरसात आने तक उसका घर सही सलामत रहेगा या नहीं। वह बच्चों को कैसे पालेगा। भगवान चुपचाप सुनते रहे।
अंत में भगवान ने कहा कि तूने ये तो सब कह डाला कि तुझे चिंताएं कितनी हैं किंतु ये नहीं बताया कि तू करता क्या है?
वह व्यक्ति धांडे मारकर रोने लगा।उसने कहा कि भगवन आपसे क्या छुपाना, चिंता इतनी रहती है कि उसी में दिन-रात घुला रहता हूँ।
मेरे पड़ोसी बड़े दुमंजिले घर मे रहते हैं, बड़ी बड़ी गाड़ियों में घूमते हैं।मेरा कुछ करने का मन नहीं करता।कुछ आप ही बंदोबस्त कर दीजिए ताकि मेरी गरीबी दूर हो जाये।
भगवान ने मुस्कुराते हुए कहा कि सो तो मैं कर दूंगा। तेरी सारी परेशानियां मैं चुटकियों में दूर कर दूंगा किंतु तू ये तो जानता ही है कि समय गतिमान है और कभी एक सा नहीं रहता । अगर आज तुझे मैंने निर्धन से धनवान बना दिया जिसका कि तू अधिकारी नहीं है। तू उसका उपयोग नहीं कर सकेगा।
तू फिर से निर्धन हो जाएगा। मेरी प्रकृति ऐसी ही है कि जो व्यक्ति जिस योग्य होता है उसे वैसे ही पदार्थ इस जगत में प्राप्त होते हैं। तू गरीब इसलिए है क्योंकि तू अभी इसी लायक है। तूने कभी गरीबी से बाहर आने के लिए पर्याप्त श्रम ही नहीं किया।बस सपने देखता रहा और चिंताएं करता रहा। जिसका कोई अर्थ नहीं।
तेरे पड़ोसी तुझसे अधिक ऐशो आराम में इसलिए जी रहे हैं क्योंकि उन्होंने गरीबी से बाहर आने के लिए मेहनत की। जब तू खाट पे पड़ा दिवास्वप्न में खोया था तब वह कठिन श्रम कर रहे थे। यदि इस वक्त मैं तुझे अमीर बना भी दूं तो भी तू कुछ ही समय मे सब कुछ खो देगा और फिर से फटेहाल हो जाएगा। और शायद आज से भी बदतर तेरी स्थिति हो जाएगी।
भगवान ने आगे कहा कि इसलिए मैं तुझे काम की बात बताता हूँ, तू कान खोलकर सुन ले और गांठ बांध ले। इस दुनिया मे सबसे महत्वपूर्ण आज का दिन अर्थात वर्तमान है। तू इसी में रह और खूब मेहनत कर। तू कल क्या था और कल क्या होगा इन व्यर्थ की चिंताओं से मुक्त होकर कर्म कर।तू जो भी चाहता है सब पा लेगा।
मेरे सारे खजाने इस ‘आज के दिन’ में ही छुपे हुए हैं। जो इसे जान लेता है वह उस खजाने को पा लेता है। तूने कभी जाना नहीं क्योंकि तू आज में कभी जिया ही नहीं। या तो तू बीते हुए कल में जीता रहा या फिर आने वाले कल की चिंताओं में घुलता रहा।इसीलिए तू गरीब बना रहा।
मेरा तेरे लिए यही मंत्र है कि तू जा। आज में रह और खूब मेहनत कर। वह व्यक्ति सुबह जागा तो बड़ा ही खुश था मानो सच में उसने खजाना पा लिया हो। हर रोज की तरह चिंता करते हुए समय काटने की बजाय उसने फावड़ा उठाया और खेतों की ओर चल दिया।
आज 2 वर्ष बाद उसके पास पक्का मकान है, लहलहाती हुई खेती है, बच्चे अच्छे कपड़े पहनकर अच्छे स्कूल में पढ़ने जाते हैं। उसके जीवन मे शांति आ गयी है। वह अब सुखी रहने लगा है क्योंकि भगवान के दिये मंत्र का उसने अक्षरशः पालन किया।