परिणय जीवन का बसंत

( Parinay jeevan ka basant )

 

दिव्य भव्य श्रृंगार बेला,
प्रतिपल नेह अनंत वृष्टि ।
कांतिमय अंग प्रत्यंग ,
अति आनंद परिपूर्ण सुदृष्टि ।
उर तरंग चाहत स्पंदन,
वंदन अभिनंदन प्रणय मंत ।
परिणय जीवन का बसंत ।।

मृदुल मधुर अहसास,
विमल पुनीत हिय भावना ।
सरित प्रवाह मंगलता,
असीम खुशियां कामना ।
अपनत्व परम स्पर्श बिंदु,
अलौकिक संबंध पंत ।
परिणय जीवन का बसंत ।।

प्रेयसी बन आशाएं ,
हर क्षण संग गमन ।
अथाह स्वर माधुर्य ,
जीवन नवरंग रमन।
मुखारबिंद लावण्य शोभना,
हर्ष उल्लास उमंग अनंत ।
परिणय जीवन का बसंत ।।

अंतर पावन कैनवास,
मिलन मोहक अनूप चित्र ।
भाव भंगिमा स्नेहिल छवि,
प्रेम प्रतिरूप दर्श पवित्र ।
रोम रोम सिय राम रमन,
सप्त जन्म बंधन कंत ।
परिणय जीवन का बसंत ।।

 

महेन्द्र कुमार

नवलगढ़ (राजस्थान)

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