Daraar

दरार | Daraar

दरार

( Daraar ) 

 

एक दो दरार के आ जाने से ही
दीवार ढह तो नही जाती
जर्जर हुए मकान भी
संभल जाते हैं सालों साल….

हो जाय यदि गलती का एहसास
या भावना हो लगाव की
तो समझौते भी रखते हैं मायने
टूटी लाठी, आधी ही कहलाती है….

बीमारी का मतलब मौत ही नही होती
औषधियां भी तो हैं बाजार मे
निराशा मे बढ़ता ही जाता है रोग
खत्म हो जाती है बचने की संभावना भी…

लगे आग घर मे या पड़ोस मे
जल जाते हैं दोनों ही मकान
खुद को ही बचना है एक दूसरे को
स्वयं कभी आते नही भगवान….

लौटती हैं लहरें तो बढ़ती भी हैं
अंधेरे उजाले कहां नही होते
साथ जरूरी है,रेल की पटरी हो या रथ
जड़ के मजबूत होने पर भी
हवाओं के थपेड़े दरख्त गिरा ही देते हैं…

 

मोहन तिवारी

( मुंबई )

यह भी पढ़ें :-

विद्यार्थी | Vidyarthi

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *