श्वान-व्यथा (दर्द-ए-कुत्ता)
श्वान-व्यथा (दर्द-ए-कुत्ता)
हम इंद्रप्रस्थ के रखवाले,
यह धरा हमारे पुरखों की ।
हमने देखे हैं कई बार,
शासन-सत्ता सुर-असुरों की ।।
हमने खिलजी को देखा है,
देखा है बिन तुगलक़ को भी ।
देखा है औरंगज़ेब और
गज़नी, ग़ोरी, ऐबक को भी ।।
तैमूर लंग जैसा घातक,
नादिर शाह भी देखे हैं ।
अब्दाली से अंग्रेजों तक,
की सत्ता नयन निरेखे हैं ।।
अब उनकी सत्ता आई है,
जो विश्व-प्राणि का हित चाहे ।
पूरी दुनिया परिवार कहे,
“सर्वे भवन्तु सुखिनः” गाए ।।
जो पुरा, मध्य और मुगल वंश
अंग्रेजों ने होने न दिया ।
मनु, धर्मराज, गांधी तक भी
कुत्तों को कभी रोने न दिया ।।
सबसे पहले हम स्वर्ग गए,
युधिष्ठिर के भी आगे-आगे ।
वे लोग बताएं—आवारा
जिनकी रक्षा में निशि जागे ।।
हम कुत्ते हैं या आप श्वान,
इसका भी सनद किया जाए ।
आवारा अपराधी है कौन,
बेझिझक हिसाब किया जाए ।।
हम खुले आम पेशाब करें,
दीवारें आप भी रंगते हो ।
हम नंग-धड़ंग विहार करें,
तन कहाँ आप भी ढकते हो ।।
हम बेपर्दा संभोग करें,
पर आप कहाँ पीछे रहते ?
होटल, उद्यान, हाइवे पर,
धाकड़ कुकर्म करते फिरते ।।
हम अपनी बहन बेटियों की
पीड़ा तक देख नहीं सकते ।
हे मनुज! सुनो, हम श्वान कभी
बच्चियों का रेप नहीं करते ।।
घुसख़ोर कौन? बेईमान कौन?
हरता दिल्ली का मान कौन?
दिल्ली के मालिक बतलाओ—
हम श्वान, मगर शैतान कौन?

अजय जायसवाल ‘अनहद’
श्री हनुमत इंटर कॉलेज धम्मौर
सुलतानपुर उत्तर प्रदेश







