दर्द में भी मुस्कराना चाहिए
दर्द में भी मुस्कराना चाहिए
हर खुशी को गुन गुनाना चाहिए
दर्द में भी मुस्कराना चाहिए
जो पड़ी बंजर हमारी भूमि है
अब वहां फसलें उगाना चाहिए
तुम नहीं भागो नगर की ओर अब
गाँव में मिलकर सजाना चाहिए
खोखले हो जाये न रिश्ते सभी
यार उनको भी बचाना चाहिए
साथ मिलके खाई थी उसने कसम
याद अब उसको दिलाना चाहिए
रीति दुनिया की भुला कर आज तो
दौरे- नौ में पग बढ़ाना चाहिए
कह रहे रिश्तें हमारे प्यार के
साथ अब हर पल निभाना चाहिए
बह न पाये अश्क़ आँखों से कभी
इस तरह खुद को हँसाना चाहिए
तुम मिलों तो अब मिले सारी खुशी
किसलिए हमको ज़माना चाहिए
बोझ लगती ज़िन्दगी उसके बिना
क्यों न हमको लौट जाना चाहिए
लुट गया तेरा प्रखर सब कुछ यहाँ
जो बचा उसको बचाना चाहिए
( बाराबंकी )
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