बोल पड़ी मेरी दीवार घड़ी | Deewar Ghadi par Kavita
बोल पड़ी मेरी दीवार घड़ी
( Bol padi meri deewar ghadi )
अचानक बोल पड़ी मेरी दीवार घड़ी
बढ़ते जाओ यह दुनिया बहुत बड़ी
पल पल जीवन का आनंद ले लो
खुशियों से अपनी झोली भर लो
यह दुनिया घड़ी सी गोल मटोल
संसार में पग पग पे रमझोल है
अगर समय रहते ना संभले तो
समझो जिंदगी फिर डांवाडोल है
समझो नहीं तो वक्त समझाएगा
हाथ से कीमती वक्त निकल जाएगा
समय के संग चलो पलों को जीओ
प्यार के मोती बांटो गमों को पियो
रचनाकार : रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )