देख लो तुम भी आईना फिर से
देख लो तुम भी आईना फिर से
देख लो तुम भी आईना फिर से
लौट ये पल न पायेगा फिर से
चाहते क्या होके जुदा फिर से
बन न पाओगे तुम खुदा फिर से
मुझको होना नहीं फ़ना फिर से
रात दिन माँगता दुआ फिर से
यूँ न निकलो सँवर के तुम बाहर
हो न जाये कहीं खता फिर से
जिसने देखी हैं चाहतें उसकी
उसपे होते वही फ़िदा फिर से
दिल तो कहता रहा सदा तेरा
अब न होगा वो बेवफ़ा फिर से
और कितना तुझे गिला करना
पूछता है वही पता फिर से
सब्र का फल रहा सदा मीठा
मिल जायेगी तुझे दवा फिर से
आ के बैठे तुम्हारे कूचें में
अब दिखाओ वही अदा फिर से
दिल लगाना पड़ा प्रखर मँहगा
दे गया वो हमें दगा फिर से
महेन्द्र सिंह प्रखर
( बाराबंकी )
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