देवनागरी | Kavita Hindi Bhasha Par
देवनागरी
( Devanagari )
करत कलोल बोल कोयल सी अनमोल,
ढोल बावन ढंग की बजावति देवनागरी।
खड्ग उठाइ शव्द भानु के जगाई तब,
सबही केज्ञान सिखावति देवनागरी।।
गगन जनन मन अति हरषत जब ,
अवनि के स्वर्ग बनावति देवनागरी।
घनन घनन घन दुंदुभी बजावन लागे,
शेष हिंदी बूंद बरसावति देवनागरी।।
चरन छुवन सुख अति बड़कन जन,
संस्कार सबके सिखावति देवनागरी।
छनन छनन घुंघुरन धुन गाइ गाइ,
दीप मालकौंस सुनावति देवनागरी।।
जानि जानि लोग अवमानना करने लागे,
चोट निज हिय की देखावति देवनागरी।
झूठि हल्लो हाय बाय नमस्कार भूलि जाय,
सुनि सुनि अश्रु बहावति देवनागरी।।
लेखक: शेष मणि शर्मा “इलाहाबादी”
प्रा०वि०-बहेरा वि खं-महोली,
जनपद सीतापुर ( उत्तर प्रदेश।)
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