ढा रही है सितम ये हंसी आपकी

ढा रही है सितम सादगी आपकी

ढा रही है सितम सादगी आपकी

 

 

ढा  रही  है  सितम सादगी आपकी।

कातिलाना अदा  यूं  सभी  आपकी।।

 

उस ख़ुदा की तरह दिल से चाहा तुझे।

कर  रहा  है  ये  दिल  बंदगी आपकी।

 

महफिलों  में  गया  तो  वहां  ये लगा।

खल रही है कहीं कुछ कमी आपकी।।

 

हुश्न तेरा वो दिल पर असर कर गया ।

याद  जाती  नहीं  है  कभी आपकी।।

 

लोग  पढ के कहेंगे कभी तो कुमार”।

भा  गई   है   हमें   शायरी  आपकी।।

 

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कवि व शायर: Ⓜ मुनीश कुमार “कुमार”
(हिंदी लैक्चरर )
GSS School ढाठरथ
जींद (हरियाणा)

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है जुबां पे सभी के कहानी अलग

 

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