है जुबां पे सभी के कहानी अलग
है जुबां पे सभी के कहानी अलग

है जुबां पे सभी के कहानी अलग

 

 

है  जुबां  पे  सभी  के कहानी अलग।

फितरते  है अलग जिंदगानी अलग।।

 

कौन  माने  किसी की  कही बात को।

खून  में  है  सभी  के  रवानी अलग।।

 

मानता खुद को कमतर ना कोई यहां।

जोश  से  है  भरी हर जवानी अलग।।

 

लाभ  की  चाह  में  कर  बैठे हानियां।

हर बशर कर चुका है नादानी अलग।।

 

गलतियों   से  बचा   कौन  संसार  में।

भूल  की   है  नई  भी  पुरानी अलग।।

 

खूबियाँ  थी  नहीं  गुरूर  इतना  भरा।

साथ  में  बढ  रही बदजुबानी अलग।।

 

जख़्म  पहले  दिया  फिर  कुरेदा उसे।

आज  उसने  करी  महरबानी अलग।।

 

ढूंढने   से  मिलेगा  खुदा भी “कुमार”।

है  जहां में  सभी की निशानी अलग।।

 

 

?

कवि व शायर: Ⓜ मुनीश कुमार “कुमार”
(हिंदी लैक्चरर )
GSS School ढाठरथ
जींद (हरियाणा)

यह भी पढ़ें : 

आँसुओं में ग़मों को बहाता है क्यूं

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here