Dhanteras ka Parv
Dhanteras ka Parv

धनतेरस का पर्व

( Dhanteras ka parv )

 

कार्तिक माह में कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को आता,
इसदिन माॅं लक्ष्मी की पूजा हर हाल मे सब करता।
धनतेरस का पावन पर्व सब घरो में खुशियां लाता,
भगवान धन्वंतरि व धन कुबेर की उपासना करता।।

घर में धन के भण्डार भरे रहते जो उपासना करते,
कहते है इसी दिन धन त्रयोदशी/धन्वंतरि जन्में थे।
एकदिन हरि विष्णु और लक्ष्मी भूमण्डल पर आए,
रुकना इसी जगह पर तुम हम पलभर में ही आते।।

बोलकर गए श्रीहरि विष्णु मां लक्ष्मी को यह बोल,
पीछे न आना ध्यान रखना सुनना यह कान खोल।
पीछे-पीछे चली गई माॅं लक्ष्मी क्यों बोलें ऐसे बोल,
चलते-चलते सरसो फूल से गजरे बनाऍं अनमोल।।

आगे चलकर गन्ना खेत से खाऍं तोड़कर वो हजार,
यह देखकर श्राप दिया हम लाए थें तुम्हें समझार।
फिर भी तुम समझे नही नुकसान किया है भरमार
१२ वर्ष अब सेवा करें इस कृषक का ध्यान लगार।।

माॅं लक्ष्मी ने कहा किसान से करो स्नान और ध्यान,
कभी ना कोई कष्ट आएगा मिलेगा तुमको वरदान।
अन्न-धन से भंडार भर गया जब किया ऐसा उपाय,
तभी से पावन पर्व मनातें धनतेरस का सारे जहान।।

 

रचनाकार : गणपत लाल उदय
अजमेर ( राजस्थान )

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