Dhoka Shayari Hindi

अज़ब धोखा हुआ | Dhoka Shayari Hindi

अज़ब धोखा हुआ

( Ajab dhoka hua ) 

 

कल, बुलंदी की तलब में रूह का सौदा हुआ

ज़िन्दगी भारी हुई देखो अज़ब धोखा हुआ ॥

 

राह-ए-उल्फ़त में चले नीयत सदाक़त अर्श पर

फिर तभी रुसवाइयों का भी उन्हें ख़द्शा हुआ  ॥

 

बढ़ रहे बेगार, मुफ्लिश सर- जमीं मक्तल हुई

हिल गया रब, बेखबर अहल-ए-सियासत,क्या हुआ ?

 

रोक कर आब-ए-रवाँ मैंने असर भी देख ली

दफ़अतन शैलाब से बर्बाद जग सारा हुआ ॥

 

गर मिरे अल्फ़ाज़ भी  जाते फ़लक तक, ऐ ख़ुदा !

रहमत-ए-ताक़ीद है ‘याशी’ घुटन ज़्यादा हुआ   ॥

 

Suman Singh

सुमन सिंह ‘याशी’

वास्को डा गामा,गोवा

रदीफ़= हुआ

क़ाफिआ = आ स्वर की बंदिश

अरकान = फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फइलुन

बाहर= बहरे रमल मुसद्दस महजूफ

वज्न = २१२२ २१२२ २१२२ २१२

शब्द :-

आब-ए-रवाँ:  पानी का बहाव
अहल-ए-सियासत: रजनीति में सक्रिय योग्य लोग

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अगर साकी | Agar Saqi

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