दिल की महफिल सजाए बैठे हैं | Dil ki mehfil sajaye baithe hain
दिल की महफिल सजाए बैठे हैं
( Dil ki mehfil sajaye baithe hain )
भरी बरसात में आके आज हम नहाए बैठे हैं
दिलवाले दिल की ये महफिल सजाए बैठे हैं
सुना दो गीत प्यारा सा तराना छेड़ो मनभावन
मोती प्यार के बरसे आया उमड़ घुमड़ सावन
वादियां महक गई सारी चमन महकाये बैठे हैं
महकते दिल की ये महफिल सजाए बैठे हैं
हवाएं बह रहीं मधुरम बहारें मनभावन सी आई
घटाएं अंबर घिर आई बदरिया नभ मे फिर छाई
रिमझिम मस्त फुहारों में हम मन हरसाये बैठे हैं
प्रेम गीतों से दिल की ये महफिल सजाए बैठे हैं
सारे साज थिरक जाए बजे संगीत के सितार
नफरतें भूलकर दुनिया बरसे प्रेम की रसधार
वीणा के बजते तारों में मधुर धुन गाये बैठे हैं
संग तुम्हारे दिल की ये महफिल सजाए बैठे हैं
कवि : रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )