Dil se jaye nahi pyar main kya karoon
Dil se jaye nahi pyar main kya karoon

दिल से जाये नहीं प्यार मैं क्या करुं

( Dil se jaye nahi pyar main kya karoon )

 

 

दिल से जाये नहीं प्यार मैं क्या करुं
हिज्र  में  तेरे  अब यार मैं क्या करुं

 

भूलने की तुझे कोशिका की तमाम
भूल पाऊं न दिलदार मैं क्या करुं

 

इंतिहां हो गयी  है मेरे प्यार की
तेरा कैसे हो दीदार मैं क्या करुं

 

की शिकायत तेरी रोज़ आवाज़ से
सुन  पाऊं  तुझे  यार मैं क्या करुं

 

देख पाऊं तुझे मैं मगर अब कैसे
राहों में ही है दीवार मैं क्या करुं

 

रंग  में  तेरे  सजना  ज़रूरी  नहीं
बन जाऊं तेरी श्वंगार मैं क्या करुं

 

कह दिया है मुहब्बत में जो गीता से
और  अब  बात  बेकार  क्या  करुं

 

🌸

लेखिका :- गीता शर्मा

( दिल्ली )

यह भी पढ़ें :-

मुझको मेरी ज़मीं पे रहने दो | Ghazal

 

 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here