दिलों को तोड़ने वाले जहां में कम नहीं मिलते

Ghazal | दिलों को तोड़ने वाले जहां में कम नहीं मिलते

दिलों को तोड़ने वाले जहां में कम नहीं मिलते

( Dilon Ko Todne Wale Jahan Mein Kam Nahi Milte )

 

दिलों  को  तोड़ने  वाले जहां में कम नहीं मिलते।
मगर फिर भी ज़माने में हमेशा ग़म नहीं मिलते।।

 

कभी  खुशियाँ चली आती कभी हो सामना ग़म से।
मिटा दे सिर्फ ग़म को जो कहीं मरहम नहीं मिलते।।

 

बहुत  आसां  सफर  होता हमारा भी ज़माने में।
करे जो दर्द को हल्का कहीं हमदम नहीं मिलते।।

 

नहीं  कुछ  अपने  काबू में है हम सब देखने वाले।
बदल डाले जो होनी को किसी में दम नहीं मिलते।।

 

नहीं  ग़र  त्याग  जीवन में मिलेगा यश भला कैसे।
जो केवल पूजते धन को दिवाने कम नहीं मिलते।।

 

दुखाया दिल किसी का था तभी दुख लौट आया है।
बिना ही बात पे दिल को कभी बरहम नहीं मिलते।।

 

कोई  रिश्ता  रहा  होगा  किसी  गुजरे  ज़माने में।
भरी दुनिया में आकर के कभी यूं हम नहीं मिलते।।

 

दिलों के साफ  जो  जग  में  बढ़ाओ  दोस्ती उनसे।
न तोङो ऐसे रिश्तों को “कुमार”हरदम नहीं मिलते।

 

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कवि व शायर: Ⓜ मुनीश कुमार “कुमार”
(हिंदी लैक्चरर )
GSS School ढाठरथ
जींद (हरियाणा)

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