दिलों को तोड़ने वाले कहां इंसान होते है
दिलों को तोड़ने वाले कहां इंसान होते है
दिलों को तोड़ने वाले कहां इंसान होते है।
नहीं ईंसानियत की वो कभी पहचान होते है।।
लगाकर ठेस वो दिल को दिवानों की तरह अक्सर।
खुशी इज़हार करते है बहुत शैतान होते है।।
कभी अहसान मानेंगे नहीं चाहे करो कुछ भी।
भुला दे बात को पल में बङे हैवान होते है।।
ना कोई बात सुनते वो भले कितना भी समझाओ।
नसीहत मान ग़ैरों की सदा कुर्बान होते है।।
जुबां से कुछ भी कहते है बिना सोचे बिना समझे।
किसी दिल पे है क्या गुजरी सदा अनजान होते है।।
हमेशा तौलते इज्ज़त वो दौलत के तराजू में।
रहे दौलत सदा भारी यही अरमान होते है।।
करेगे वैर अपनों से बनके दूसरों के वो।
चलेगे रीत वो उल्टी महा-नादान होते है।।
जो बांटोगे वही मिलता यही दस्तूर दुनिया का।
“कुमार” रहते तभी दुख में ग़मों की ख़ान होते है।।
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कवि व शायर: Ⓜ मुनीश कुमार “कुमार”
(हिंदी लैक्चरर )
GSS School ढाठरथ
जींद (हरियाणा)
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