दो छोटे कीमती मोती | Do Chhote Kimti Moti
कहते है कि अगर किसी व्यक्ति को मदद की जरूरत होती है तो उसको तुरन्त देना चाहिये । मन की कोमलता और व्यवहार में विनम्रता से वह कार्य भी बन जाते हैं जो कठोरता से नहीं बन पाते हैं।
किसी ने सच ही कहा है =डरा -धमकाकर, अहसान जताकर किसी को जीते तो क्या जीते? किसी को जीतना है तो ह्रदय की नम्रता से जीतो। जब भी किसी को सहायता की जरूरत हो तो मदद जरूर करनी चाहिए ।
सबसे अच्छी सहायता वह होगी जहां वे खुद जीवन में आगे बढ़ने और अपना ख्याल रखने के काबिल बन सके। आजकल हर इंसान अपना नाम और अपनी बड़ाई के लिये सौ रुपये की कम्बल गरीब को दान देकर फ़ोटो ऐसे खिंचवाते हैं जैसे वो कितना बड़ा दानवीर है ।
फिर उसी फ़ोटो को सोशल मीडिया के माध्यम से पूरे देश में अपनी दानवीरता का बखान करते हैं। फिर जब लोग उनकी दानवीरता की चर्चा करते हैं तो उनके अंदर अँहकर और बढ़ने लगता है। वैसे ही लोग किसी संस्था में हज़ार रुपये का पंखा दान देकर उसकी तिनो ब्लेड पर दादे से लेकर पोते तक की पीढ़ी का नाम लिखवाते हैं। और ऐसे सो करते हैं जैसे उनके जैसा भामासाह कोई दूसरा है ही नहीं।
अगर आपके अंदर सही से कुछ परोपकार या दान की भावना हो तो ऐसी हो कि दाएँ हाथ से किया गया दान बायें हाथ को मालुम ना पड़े।हृदय में दया और सहजता का भाव रहे । प्रार्थना और विश्वास दोनों अदृश्य हैं परंतु दोनों में इतनी ताकत है की वह नामुमकिन को मुमकिन बना देते हैं!
विश्वास जीवन में इतना आए की खुद पर हो विश्वास और गुरु पर हो आस्था फिर चाहे कितनी भी आए बाधा मिल जाता है रास्ता । क्योंकि, इंसान मरा करते है विश्वास नही मरता है। नामुमकिन को मुमकिन विश्वास किया करते है ।
सपने सच हो जाते है हर दुआ काम आती है विश्वास की डोर को अपनी विश्वास खिंच लाती है। दुआ जो दिल से माँगी गयी हर दूरी तय करती हैं और क़बूल भी होती हैं।
प्रार्थना जो मरणासन पर हैं अपने दिल के तार सीधे सही प्रभु से जोड़ता हैं वह प्रार्थना हर दूरी तय करती हैं। उसे सही राह का मार्गदर्शन दे उत्थान करती हैं। प्रार्थना कभी याचना ना बने प्रार्थना के क्षणों में हमारे हृदय का रोम-रोम बोलता हैं- शिवमस्तु सर्वजगत् । परहित-निरता भवंतु भूतग़णा: दोषा: प्रयांतु नाशं सर्वत्र सर्वे सुखिनो भवंतु ।
प्रदीप छाजेड़
( बोरावड़)