मचल गया दूल्हा फिर आज | Dulha par kavita
मचल गया दूल्हा फिर आज
( Machal gaya dulha phir aaj )
बहुत बताया नही माना दुल्हा,
सबके सब सोच रहें क्या होगा।
बोला गाड़ी मुझे दहेज में लेना,
नही तो बारात अकेला जायेंगा।।
जैसे करके मोटरसाइकिल वे लाऐ,
गहना घरवाली का वह बेच आऐ।
अब तो लो फेरे आप कॅवर साहब,
क्यों करते हो सबका दिमाग़ खराब।।
दुल्हे की जिद फोर व्हीलर लेना,
उसी में बैठकर घर गाॅंव हमें जाना।
क्यों करते हो आप समय बेंकार,
दे दो दहेज़ में मुझको एक कार।।
इतना सुनकर दुल्हन फिर बोली,
कर लिया रुप दुर्गा का फिर मोहिनी।
नही जाना मुझे इस लालची के साथ,
अभी बुलाती हूॅं पुलिस में आज।।
तब जाकर दुल्हा हुआ तैयार,
उसके भी आखिर बहनें थी चार।
हॅंसी-खुशी से फिर गया वो बारात,
शगुन में लिया केवल रुपया चार।।