
लम्हों को कुरेदने से क्या फायदा!
( Lamhon ko kuredne se kya fayda )
घोर अंधकार है आफताब तो लाओ,
हाथ को काम नहीं रोजगार तो लाओ।
हुकूमत बदलने से कोई फायदा नहीं,
मर्ज है पुरानी नया इलाज तो लाओ।
नफरत की सुनों दीवार उठानेवालों,
प्यार की कोई नई शराब तो लाओ।
कहाँ लिखा है किसी का कत्ल करो,
जिसमें लिखा है वो किताब तो लाओ।
खौफ न खाए कोई इंसान- इंसान से,
उखड़े न दम लहर की वो आब तो लाओ।
पत्थर जैसा दिल बनाने से क्या फायदा,
ठंडा न करे खून वो आग तो लाओ।
ऐसे रहो कि जैसे कभी कुछ हुआ ही नहीं,
इस तरह का कोई इंकलाब तो लाओ।
खिजाओं का रंग करता क्यों नहीं धानी,
मौसम के दिल में वैसा ख्वाब तो लाओ।
शबनमी कतरों से ये नहाए समूचा विश्व,
ऐसा कोई आसमान में बादल तो लाओ।
फलक ओढ़कर कोई कब तक सोएगा,
इसका किसी से तुम जवाब तो लाओ।
गरीबों की गलियों के अब पैर थक गए,
ऐ! टी.व्ही.चैनल कोई सवाल तो उठाओ।
क्या बुरा हाल है महंगाई का,समझ से परे,
करे गरीबी की तुरपाई वो साल तो लाओ।
भ्रष्टाचार से परेशान हैं सरकारी तालाब,
जिसमें फँसें मछलियाँ वो जाल तो लाओ।
बीते लम्हों को कुरेदने से क्या फायदा,
जो कुतर रहे हैं देश वो हिसाब तो लाओ।