दशहरा 2024

दशहरा 2024 | Dussehra

दशहरा 2024

कब तक जलाओगे मुझे ?
युग बीत गये
कितने कल्प गये बीत
रखता हूँ
दशकंठ
है मेरे दशशीश..
आँखे घूमती सब दिशाओं में
हाथ रखता मैं बीसो बीस…
शब्द जो निकला मुँह से
भिक्षाम दे माई…
फीर देखी मैने माँ सीता में
जगदजननी की प्रीत
मर्यादा की निभाई रीत
चाहता तो मैं बदल जाता
शब्द जाता भूल
मन के वचन को बनाता धूल…
मैंने बचाया जगदजननी का मान
स्वयं से स्वयं का था वचन
बिना अनुमति के नहीं छूआ कभी शक्ति का आँचल..
मैं सतयुग का था ..
तुम्हारे आज तक समझ नहीं आया
कलयुग के रावन को तुमने हर बार बचाया
अब तो करो स्वीकार
युग परिवर्तन हो अब
सतयुग का रावन जले नहीं
जले आज का रावन
जो कर रहा शक्ति का पग-पग पर
मान हनन..
सत्य की हो विजय
असत्य की पराजय…
इस दशहरा में
हारे आज का दशानन
जो रखता है छिपाकर अपने दसशीश
पाप के बीच
पाप के बीच…

Shubhangi  Chauhan

चौहान शुभांगी मगनसिंह
लातूर महाराष्ट्र

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