Ehtiyat

एहतियात

( Ehtiyat )

 

जिंदगी सफर ही नही
एक विद्यालय भी है
जहां हर लम्हे देने होते हैं इम्तिहान
कर्म के अलावा भी
भरने होते होते हैं सहायक पन्ने

कभी वक्त साथ नही देता
कभी हम पहचान नहीं पाते
बगल से होकर निकल जाती हैं राहें
और हम भटक कर ,आ जाते हैं फिर वहीं

सीधे की तलाश मे
मिलते हैं घुमावदार रास्ते ही
जहां ,अपनों को हम बेगाना समझ बैठते हैं
और बेगानों को अपना

हर रास्ते घर तक नही पहुंचे
हर घर में अपने नही मिलते
इस राज को समझ लेने वाले गिर तो सकते हैं
फिसल नही सकते
जिंदगी के इस सफर मे
एहतियात जरूरी है

 

मोहन तिवारी

( मुंबई )

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